Former Justice Rohinton Fali Nariman On Collegium: न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली को लेकर पिछले कुछ दिनों से केंद्र सरकार और न्यायपालिका में मतभेद चल रहा है. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में फिर से टिप्पणी की थी, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रोहिंटन फली नरीमन ने प्रतिक्रिया दी है. 


रिटायर जस्टिस नरीमन ने केंद्रीय कानून मंत्री को याद दिलाया कि यह उनका परम कर्तव्य है कि वे अदालत के निर्णयों को स्वीकार करें, चाहे वे सही हों या गलत. रिटायर जस्टिस नरीमन ने कहा, "स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतंत्र का आखिरी स्तंभ है, अगर यह गिरता है, तो देश रसातल में चला जाएगा और यह एक नए अंधेरे युग की शुरुआत होगी."


कानून मंत्री को पूर्व जस्टिस की सलाह


बता दें कि अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने से पहले पूर्व न्यायाधीश रोहिंटन फली नरीमन भी कॉलेजियम का हिस्सा थे. उन्होंने कहा, "कॉलेजियम की ओर से सिफारिश किए गए नामों को रोकना लोकतंत्र के लिए घातक था." पूर्व जस्टिस नरीमन ने कहा, "एक नागरिक के रूप में मैं आलोचना कर सकता हूं, कोई समस्या नहीं है लेकिन यह कभी नहीं भूलें कि आप एक अथॉरिटी हैं. एक अथॉरिटी के तौर पर आप सही या गलत के फैसले से बंधे हैं."


उपराष्ट्रपति के बयान पर निशाना साधा


पूर्व जस्टिस ने उपराष्ट्रपति का नाम लिए बिना उनकी टिप्पणियों पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, "1980 से आज तक, न्यायपालिका के हाथों में इस अत्यंत महत्वपूर्ण हथियार का कई बार उपयोग किया गया है, जो हमारे देश में अत्यंत महत्वपूर्ण जांच और संतुलन में से एक है."


बता दें कि केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने की ओर से कई बार कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल उठाया गया है. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के बनाए कानून को सुप्रीम कोर्ट से रद्द करने पर नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा था, "संसद ने जो कानून बनाया है क्या उस पर कोर्ट की मुहर लगेगी, तभी वो कानून माना जाएगा?" 


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