Supreme Court On Rape Case: सुप्रीम कोर्ट ने हर असफल रिश्ते पर रेप का लेबल लगाने के खिलाफ चेतावनी दी है. कोर्ट ने कहा इससे यौन उत्पीड़न के असल मामलों को नुकसान पहुंच सकता है. अदालत ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील की सुनवाई के दौरान की, जिसमें हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार के मामले को रद्द कर दिया गया था.


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (25 अगस्त) को कहा, "असफल रिश्ते के हर उदाहरण को बलात्कार के मामले के रूप में पेश करने की कोशिश यौन उत्पीड़न के असल मामलों पर गलत प्रभाव डाल सकता है." साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि जो कपल सहमति से शारीरिक संबंध बनाना चाहते हैं, उन्हें भी तैयार रहना चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि उनकी शादी न हो पाए." 


पारंपरिक तरीके से जिंदगी गुजारें कपल - सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने टिप्पणी की, "या तो आप पारंपरिक तरीके से जिंदगी गुजारे या फिर जीवन जीने के अपने तरीके चुनें. बड़े शहरों में कई युवा बाद वाले विकल्प को चुन रहे हैं. ऐसे में जब आप अपने मुताबिक जिंदगी गुजारना चाहते हैं तो आपको सभी संभावित परिणामों का सामना करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए."


हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया गया थे केस
अदालत 18 अप्रैल के मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार के मामले को रद्द कर दिया गया था. बता दें कि एक महिला ने कथित तौर एक शख्स पर शादी के झूठे बहाना बनाकर यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था.


रिश्ते खराब होने का उदाहरण
हाईकोर्ट के आदेश को मंजूरी देते हुए पीठ ने कहा कि महिला द्वारा ग्वालियर के पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने से पहले दोनों पांच साल तक एक साथ थे. महिला की ओर से पेश हुई वकील से कोर्ट ने कहा, "यह कैसा बलात्कार है? यह शारीरिक संबंधों के साथ पांच साल के रिश्ते का एक उदाहरण है, जो अब खराब हो गया है... इस प्रकार के मामले वास्तविक मामलों के लिए समस्याएं पैदा करते हैं और असम मामलों को अदालतों के लिए समस्याग्रस्त बना देते हैं."


सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज
इस पर वकील ने तर्क दिया कि मामले के तथ्यों से बलात्कार का आरोप बनता है, क्योंकि लगभग पांच साल तक उसके साथ शारीरिक संबंध रखने के बावजूद आदमी ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया. पीठ ने महिला की अपील को खारिज करते हुए जवाब दिया, "तो क्या हुआ?  हर मामले में जहां लंबे समय शारीरिक संबंध बनाए गए और बाद में रिश्ता शादी तक न पहुंच सका तो क्या उसे बलात्कार कहा जाना चाहिए? '' 


यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट का आदेश, 'मणिपुर हिंसा में CBI के मामलों की सुनवाई गुवाहाटी में होगी, वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश होंगे आरोपी और गवाह'