President Election: महाराष्ट्र (Maharashtra) में सियासी उलटफेर के बाद देश के नए राष्ट्रपति (President) चुनने की जंग होने वाली है. इस चुनाव को लेकर धुंधली तस्वीर धीरे-धीरे साफ होती नजर आ रही है. हालांकि ये तस्वीर पूरी तरह से तो 21 जुलाई को साफ हो पाएगी लेकिन उससे पहले कई पार्टियों ने अपनी स्थिति साफ कर दी जिससे लगता है कि एनडीए (NDA) उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) इस रेस को जीत सकती हैं. वहीं विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) रेस में पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं. दोनों ही उम्मीदवार अपना अपना समर्थन जुटाने में व्यस्त हैं. इसी कड़ी में कल अकाली दल ने अपना पक्ष रखते हुए द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दिया है.


तो वहीं विपक्ष की तरफ से उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के चांस इसलिए भी कम नजर आ रहे हैं क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कह दिया है कि द्रौपदी मुर्मू की जीत के चांस ज्यादा हैं. ये बयान इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि यशवंत सिन्हा टीमएमसी नेता है और ममता बनर्जी ने ही उनका नाम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर तय किया था. दरअसल ममता बनर्जी ने कहा कि अगर द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाने से पहले विपक्ष से चर्चा की गई होती तो विपक्षी दल भी द्रौपदी मुर्मू के लिए समर्थन कर सकते थे. उन्होंने कहा कि 18 जुलाई को होने वाले इस चुनाव में एनडीए उम्मीदवार के चांस ज्यादा हैं. महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद संख्याबल बढ़ा है.


इससे पहले विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि चुनाव की तारीख तक उनके पक्ष में कई परिवर्तन होंगे. ऐसे में एक सवाल सभी मन में कौंधने वाला है कि क्या इन परिवर्तनों से एनडीए उम्मीदवार का खेल बिगड़ सकता है. अगर इस सवाल का जवाब हां है तो ये कैसे संभव होगा और अगर इस सवाल का जवाब न है तो द्रौपदी मुर्मू कैसे चुनाव जीत पाएंगी...तो आइए जानते हैं कि किस पार्टी ने किस उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया है और किस उम्मीदवार के जीतने की संभावना प्रबल है.





यशवंत सिन्हा को कहां कहां से मिल रहा समर्थन


पहले बात कर लेते हैं विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की क्योंकि उन्होंने ही कहा है कि चुनाव की तारीख आते आते बहुत से परिवर्तन देखने को मिलेंगे लेकिन लगता नहीं है. वो इसलिए उनकी ही पार्टी की ममता बनर्जी ने खुद मान लिया है कि द्रौपदी मुर्मू का पलड़ा भारी है. यशवंत सिन्हा को अब तक कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआईएम, समाजवादी पार्टी, आरएलडी, आरएसपी, टीआरएस, डीएमके, नेशनल कांफ्रेंस, बीकेयू, आरजेडी, केरल कांग्रेस एम जैसे कई दलों का समर्थन मिल चुका है. मतलब यशवंत के पास अभी करीब तीन लाख 89 हजार वैल्यू के वोट हैं. केरल के छोटे-बड़े सभी दलों ने यशवंत सिन्हा को ही समर्थन दिया है. ऐसे में संभव है कि यहां से एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को एक भी वोट न मिले.




द्रौपदी मुर्मू को किन-किन दलों ने दिया समर्थन?


एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अब तक बीजेपी के अलावा बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, जनता दल सेक्युलर, शिरोमणि अकाली दल, जेडीयू, एआईएडीएमके, लोक जन शक्ति पार्टी, अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले), एनपीपी, एनपीएफ, एमएनएफ, एनडीपीपी, एसकेएम, एजीपी, पीएमके, एआईएनआर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी, यूडीपी, आईपीएफटी, यूपीपीएल जैसी पार्टियों ने समर्थन दे दिया है. विपक्ष में होने के बाद भी बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, जनता दल सेक्युलर, अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया है. इन सभी के पास 6 लाख वैल्यू से ज्यादा के वोट हैं.


इन दलों की स्थिति अभी साफ नहीं


राष्ट्रपति चुनाव (President Election) के लिए ज्यादातर पार्टियों ने अपनी स्थिति साफ कर दी है लेकिन कुछ पार्टियां अभी भी ऐसी हैं जिन्होंने अपनी स्थिति साफ नहीं की है कि वो किस उम्मीदवार को समर्थन करने जा रहे हैं. इन पार्टियों में आम आदमी पार्टी (AAP), झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), तेलगू देशम पार्टी (TDP) और शिवसेना (Shiv Sena) शामिल हैं. इन पार्टियों से यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) समर्थन की उम्मीद कर सकते हैं. जिसमें से शिवसेना को लेकर अलग कहानी है. महाराष्ट्र में सिक्का पलट चुका है. यहां उद्धव की सेना और एकनाथ शिंदे की सेना अलग हो चुकी है. ऐसे में यशवंत सिन्हा सिर्फ आप, जेएमएम और टीडीपी से सर्मथन की उम्मीद कर सकते हैं.


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