Electoral Bond Data: इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद इसे लेकर हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. बॉन्ड से जुड़ा ऐसा ही एक राज फिर से सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि 33 ऐसी कंपनियों ने चुनावी चंदा दिया, जो खुद घाटे में चल रही थीं. इलेक्टॉरल बॉन्ड के डाटा के जरिए 45 ऐसी कंपनियों का पता चला है, जिनके पैसे का सोर्स संदिग्ध पाया गया है. पिछले कुछ सालों में इन कंपनियों ने भर-भरकर राजनीतिक दलों को चुनावी फंडिंग दी है. 


अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, संदिग्ध पैसे के सोर्स वाली इन 45 कंपनियों को ए, बी, सी और डी कैटेगरी में बांटा गया है. ए कैटेगरी में शामिल 33 कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 576.2 करोड़ रुपये का चंदा दिया. इसमें से 434.2 करोड़ रुपये (कुल दान का 75%) सीधे बीजेपी के पास गए हैं. पार्टी ने इनके जरिए मिले बॉन्ड को इनकैश किया है. इन कंपनियों की 2016-17 से 2022-23 तक सात सालों में टैक्स लगने के बाद कमाई लगभग जीरो हुई है. 


एक लाख करोड़ के घाटे में रहीं 33 कंपनियां


रिपोर्ट में बताया गया कि इन 33 कंपनियों का कुल घाटा 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का है. ए कैटेगरी में शामिल 33 में से 16 कंपनियों ने कभी टैक्स भी नहीं भरा है. घाटे में चल रही इन कंपनियों के जरिए किया गया दान बड़े घोटाले का इशारा कर रहा है. इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि ये कंपनियां अन्य किसी बड़ी कंपनी के लिए मुखौटे का काम कर रही थीं या फिर इन्होंने अपने लाभ और घाटे की गलत जानकारी दी है. इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग की भी संभावना जताई जा रही है. 


छह कंपनियों ने मुनाफे से ज्यादा किया दान


बी कैटेगरी में छह ऐसी कंपनी भी हैं, जिन्होंने 646 करोड़ रुपये दान किए गए हैं. इसमें से 601 करोड़ या कहें 93 फीसदी बीजेपी के पास गए हैं. 2016-17 से 2022-23 के बीच इन कंपनियों को लाभ भी हुआ है, लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए जितना दान किया गया है, वो उनके लाभ से भी ज्यादा है. ऐसे में इन कंपनियों को लेकर संदेह जताया गया है कि ये भी किसी के लिए मुखौटे का काम कर रही हैं या फिर इन्होंने घाटे और लाभ की पूरी जानकारी सार्वजनिक नहीं की है.


इलेक्टोरल बॉन्ड की सी और डी कैटेगरी में कितनी कंपनियां?


सी कैटेगरी में तीन कंपनी शामिल हैं, जिन्होंने 193.8 करोड़ रुपये का दान दिया. इसमें से 28.3 करोड़ यानी 15 फीसदी इलेक्टोरल बॉन्ड बीजेपी ने भुनाया. बाकी का 91.6 करोड़ रुपये या कहें 47 फीसदी कांग्रेस, 45.9 करोड़ रुपये (24 फीसदी) टीएमसी, 10-10 करोड़ रुपये (लगभग पांच फीसदी) बीआरस और बीजेडी को मिला. 7 करोड़ रुपये AAP को मिले हैं. तीनों कंपनियों का मुनाफा पॉजिटिव रहा है, लेकिन इनके जरिए टैक्स चोरी किए जाने की संभावना जताई गई है. 


डी कैटेगरी में शामिल 3 कंपनियों ने 16.4 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दान किए. इसमें से 4.9 करोड़ (30 फीसदी) बीजेपी को मिले, जबकि कांग्रेस को 58 फीसदी चंदा हासिल हुआ. अकाली दल और जेडीयू को कुल चंदे का 6.1 फीसदी मिला. इन कंपनियों के न तो मुनाफे की जानकारी है और न ही इनके जरिए भरे जाने वाले टैक्स की. माना जा रहा है कि शेल कंपनी बनाकर इनके मालिकों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग करने का प्रयास हुआ है. 


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