Cut Edible Oils'Price: केंद्रीय खाद्य मंत्रालय (Union Food Ministry) ने खाद्य तेल उत्पादन (Production Of Edible Oil) करने करने वाली कंपनियों से खाद्य तेल के दामों में कमी करने को कहा है. ऐसा अंतर्राष्ट्रीय बाजार (International Market) में खाद्य तेलों की कीमतों में आई कमी को देखते हुए किया गया है. तेल कंपनियों (Oil Companies) का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में कमी की वजह से दाम काफी नीचे आ गए हैं और अगले एक हफ़्ते में ग्राहकों को इसका फायदा मिलेगा.


बुधवार को केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय के साथ बैठक के बाद तेल कंपनियां खाद्य तेलों की क़ीमत में कुछ और कटौती करने जा रही हैं. खाद्य सचिव ने कंपनियों से कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कमी को देखते हुए खाद्य तेल की क़ीमत में क़रीब 10 रुपए प्रति लीटर की कमी की गुंजाइश है. अब तेल कंपनियों ने कहा है कि खाद्य तेलों के दाम में अगले कुछ दिनों में और कटौती की जा सकती है.


ग्राहकों तक नहीं पहुंच रहा है कम कीमतों का फायदा
सरकार का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय कीमत में जितनी कमी आई है उसका पूरा फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंच रहा है. मसलन अगर सरकारी आंकड़ों की माने तो सरसों तेल की औसत कीमत जहां 20 जून को 180 रुपए प्रति लीटर थी वही 6 जुलाई को भी 180 रुपए ही थी.


वहीं इसी दौरान मूंगफली तेल की औसत कीमत ₹180 प्रति लीटर पर बनी रहे तो पाम ऑयल की औसत कीमत ₹155 रुपये पर ही स्थिर रही. सोयाबीन तेल की औसत कीमत में ₹10 प्रति लीटर की कमी जरूर देखने को मिली. हालांकि बुधवार को हुई बैठक में खाद्य तेल उत्पादन कंपनियों ने सरकार को बताया था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कमी का फायदा उन्होंने ग्राहकों को देना शुरू कर दिया है.


अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में आई है कितनी कमी?
सूत्रों के मुताबिक एक तेल कंपनी ने यहां तक कहा कि पिछले 1 महीने में उन्होंने अपने ब्रांड में ₹35 प्रति लीटर की कमी की है. तेल कंपनियों के संगठन का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय कीमत और नीचे आती हैं तो खाद्य तेलों की खुदरा कीमत में कुछ और कमी भी दिखेगी. पिछले एक साल में कई कारणों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमत में बढ़ोतरी होती गई.


यूक्रेन संकट ने हालात और खराब कर दिये जिस वजह से उनके दाम बढ़ गये क्योंकि यूक्रेन सूरज मुखी तेल का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. यूक्रेन संकट के बीच ही इंडोनेशिया ने अपने यहां से पाम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया.


कितना पाम ऑयल आयात करता है भारत?
भारत (India) अपनी जरूरत का 60 फीसदी से ज्यादा पाम तेल (Palm Oil) आयात (Import) करता है. हालांकि पिछले एक महीने में अंतरराष्ट्रीय कीमत (International Rates) में तेजी से गिरावट आई है. जानकारों का मानना है कि देश में तेल की कोई कमी नहीं है. इसके अलावा भारत (India) समेत दुनिया के अलग-अलग देशों में सोयाबीन (Soybean) और अन्य फसलों की अच्छी खेती होने की संभावना है लिहाजा खाद्य तेलों (Edible Oils) की कीमत में कमी जारी रह सकती है.


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