Palaniswami On Alliance: तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के महासचिव एडाप्पड़ी के पलानीस्वामी ने बुधवार (26 मार्च, 2025) को स्पष्ट तौर पर यह बताने से इनकार कर दिया कि उनकी पार्टी 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करेगी या नहीं. हालांकि उन्होंने कहा कि गठबंधन केवल चुनाव के समय ही बनते हैं.

पलानीस्वामी की मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात के बाद चुनावी गठबंधन की अटकलें तेज हो गई हैं. पलानीस्वामी ने पार्टी नेताओं के साथ मंगलवार को शाह से हुई मुलाकात के बारे में नयी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी ने तमिलनाडु के समक्ष मौजूद कई मुद्दों से केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया है. उन्होंने कहा, ‘हमने धनराशि शीघ्र जारी करने का आग्रह किया है, क्योंकि इसमें देरी हो रही है’.

'तमिलनाडु लगातार दो-भाषा नीति का पालन कर रहा है'पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और शिक्षा से संबंधित योजनाओं (एसएसए) के तहत तमिलनाडु के लिए लंबित धनराशि को केंद्र सरकार से जारी करने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘तमिलनाडु लगातार दो-भाषा नीति का पालन कर रहा है और इसे जारी रखा जाना चाहिए. साथ ही, संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का प्रस्तावित परिसीमन इस तरह से किया जाना चाहिए, जिससे तमिलनाडु पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े’.

पलानीस्वामी ने कहा कि गोदावरी-कावेरी नदी जोड़ो योजना को तेजी से लागू किया जाना चाहिए और नादंतई वाझी कावेरी योजना के लिए धनराशि जारी की जानी चाहिए. केंद्र को कावेरी नदी पर मेकेदातु बांध के निर्माण की अनुमति नहीं देनी चाहिए और उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार काम करना चाहिए.

'गठबंधन पर फैसला चुनाव के समय होगा'अन्नाद्रमुक नेता ने शाह के साथ हुई मुलाकात और भाजपा से चुनावी गठबंधन की संभावना के बारे में पूछे जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा कि क्या चुनाव की घोषणा हो चुकी है. उन्होंने गठबंधन बनाने के सवाल पर ‘हां’ या ‘नहीं’ में जवाब देने की आवश्यकता पर सवाल किया. उन्होंने कहा कि गठबंधन पर फैसला चुनाव के समय ही लिया जाएगा.

अन्नाद्रमुक नेता ने संवाददताओं को पिछले चुनावों में गठबंधन की घोषणा के समय को याद करने को कहा चाहे वह 2019 का लोकसभा चुनाव हो या 2021 का विधानसभा चुनाव. अन्नाद्रमुक और भाजपा ने दोनों ही चुनावों में सहयोगी के तौर पर हिस्सा लिया था. उन्होंने कहा, ‘गठबंधन परिस्थितियों की मांग के अनुसार बदलते हैं और ये विचारधारा और नीतियों से अलग होते हैं, जो स्थायी होते हैं’.

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