ED की रांची टीम ने 16 सितंबर 2025 को दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, बिहार के वैशाली और देहरादून में बड़े पैमाने पर छापेमारी की. ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई. मामला मैक्सिजोन टच प्राइवेट लिमिटेड और उसके डायरेक्टर्स चंदर भूषण सिंह और प्रियंका सिंह का है, जिन्होंने जनता से अरबों रुपए की ठगी की.

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ED की जांच झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में दर्ज FIR के आधार पर शुरू हुई थी. इन शिकायतों में कंपनी और उसके डायरेक्टर्स पर लोगों को ठगने का आरोप था. ED की जांच में सामने आया कि कंपनी ने MLM यानी मल्टी लेवल मार्किटिंग स्कीम के नाम पर लोगों को फंसाया. 

कंपनी के झांसे में आकर लोगों ने पैसे किए जमा

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लोगों से कहा गया कि अगर वो पैसा लगाएंगे तो उन्हें हर महीने मोटा मुनाफा मिलेगा. साथ ही दूसरों को जोड़ने पर रेफरल बोनस भी दिया जाएगा. इस लालच में हजारों लोग झांसे में आ गए और कंपनी ने करीब 521 करोड़ रुपये 21 से ज्यादा बैंक खातों में जमा करा लिए. इतना पैसा इकट्ठा करने के बाद डायरेक्टर्स चंदर भूषण सिंह और प्रियंका सिंह जनता के पैसों के साथ फरार हो गए.

पिछले 3 साल से ये दोनों पुलिस और एजेंसियों से बचते फिर रहे है. जांच में पता चला कि इन्होंने पैसों से कई बेनामी प्रॉपर्टीज खरीदी और नकद लेन-देन के जरिए काले धन को सफेद करने की कोशिश की. गिरफ्तारी से बचने के लिए ये लोग नकली आईडी कार्ड बनाकर अलग-अलग नाम और जगहों का इस्तेमाल करते थे. इनमें से एक नाम दीपक सिंह था.

कैश लेन-देन और ट्रांजेक्शन का हिसाब

ED को छापेमारी के दौरान जो सबूत मिले, उसमें नकली आईडी कार्ड, डायरी और हाथ से लिखे नोट्स है, जिनमें कैश लेन-देन और ट्रांजेक्शन का हिसाब है. इसके अलावा कई बोगस कंपनियों के चेक बुक्स लैपटॉप और मोबाइल जैसे डिजिटल सबूत, प्रॉपर्टीज से जुड़े एग्रीमेंट्स और कागजात बरामद हुए हैं.

जांच में ये भी सामने आया कि फरार होने के बावजूद आरोपी अभी भी नई-नई फ्रॉड स्कीमें चला रहे थे. ED ने साफ किया है कि इस घोटाले की जांच अभी जारी है और आने वाले समय में और भी खुलासे हो सकते हैं.

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