सपा नेता विनय शंकर तिवारी के लखनऊ, गोरखपुर और मुंबई स्थित दफ्तरों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) छापेमारी कर रही है. ये कार्रवाई विनय शंकर तिवारी से जुड़ी गंगोत्री इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और उससे संबंधित कंपनियों के दफ्तरों पर की जा रही है.

दरअसल बैंक ऑफ इंडिया समेत कई बैंकों ने गंगोत्री इंटरप्राइजेज के खिलाफ शिकायत दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है. शिकायत में बैंक के लोन को गलत तरीके से दूसरी जगह निवेश कर हड़पने का आरोप लगाया गया है. इस मामले में सीबीआई ने पहले केस दर्ज कर जांच शुरू की थी, जिसके बाद अब ED ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज कर अपनी जांच तेज कर दी है.

अवैध रूप से दूसरे स्थानों पर निवेश

जांच के दौरान पता चला कि लोन को विभिन्न तरीकों से अवैध रूप से दूसरे स्थानों पर निवेश किया गया और बैंकों के पैसे को हड़पने की कोशिश की गई. यह छापेमारी उस वित्तीय अनियमितता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के तौर पर देखी जा रही है, जो सार्वजनिक बैंकों के वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग करती है. अधिकारियों का कहना है कि ED की इस कार्रवाई से इस तरह के वित्तीय अपराधों में शामिल लोगों को कड़ी सजा दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा.

विनय शंकर तिवारी कौन हैं?

विनय शंकर तिवारी, जो कि पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं, एक प्रमुख राजनेता और पूर्व विधायक हैं. उनका नाम गंगोत्री इंटरप्राइजेज नामक कंपनी से जुड़ा हुआ है, जो पहले भी कई विवादों में घिर चुकी है. वर्ष 2023 में, बैंक ऑफ इंडिया ने आरोप लगाया था कि गंगोत्री इंटरप्राइजेज ने 200 करोड़ रुपये से अधिक की लोन राशि हड़प ली, जिसे बाद में अन्य कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया गया था. इस आरोप के बाद से गंगोत्री ग्रुप पर सीबीआई और ईडी की जांच का सिलसिला जारी रहा.                             

ED है क्या?

ED (प्रवर्तन निदेशालय) भारत सरकार का एक प्रमुख जांच एजेंसी है, जो वित्तीय अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामलों की जांच करती है. इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक अपराधों, अवैध धन के प्रवाह, और काले धन के खिलाफ कार्रवाई करना है. ED मनी लॉन्ड्रिंग (Prevention of Money Laundering Act, PMLA) एक्ट के तहत काम करता है और इसमें भ्रष्टाचार, टैक्स चोरी, और फंडिंग आतंकवाद जैसे गंभीर अपराधों की जांच की जाती है. यह एजेंसी विशेष रूप से उन मामलों में सक्रिय रहती है जहां सार्वजनिक और निजी वित्तीय संस्थानों के जरिए धोखाधड़ी या वित्तीय अनियमितताएं की जाती हैं.