नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से लेकर दिल्ली-एनसीआर और पंजाब तक आज देर रात भूकंप के तेज़ झटकों से थर्रा गया. इस भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान बताया जा रहा है. भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.3 मापी गई है. यह भूकंप 10:31 मिनट पर आया. भूकंप के झटके भारत के कई शहरों के अलावा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी महसूस किए गए.


ताजिकिस्तान के बाद भारत में पंजाब के अमृतसर में 10:34 मिनट पर 6.1 तीव्रता का तेज़ कंपन्न महसूस किया गया. कंपन्न इतना तेज़ था कि सर्द रात में सोने की तैयारी कर रहे लोग अपने घरों से बाहर निकल आए. हालांकि भूकंप से जानमाल के नुकासन की अभी खबर नहीं है. भूकंप आने के तुरंत बाद ये माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी टॉप ट्रेंड करने लगा. लोग अपने अपने अनुभव साझा करने लगे. कई यूज़र्स ने भूकंप के दौरान के वीडियो भी ट्विटर पर साझा किए हैं.


पीटीआई के फोटो पत्रकार ने भूकंप के बाद की कुछ तस्वीरें साझा की हैं. तस्वीरों में लोग दहशत में नज़र आ रहे हैं. अपने बच्चों और परिवारों के साथ सड़क पर खड़े नज़र आ रहे हैं.






कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने भी भूकंप के ज़ोरदार झटके महसूस किए. उन्होंने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, "कयामत से क्या डरे कोई, अब कयामत भी रोज़ आती है. एक बार फिर दिल्ली में भूकम्प के झटके महसूस हुए..उम्मीद है सभी लोग महफ़ूज़ होंगे."






एक अन्य यूज़र ने भी भूकंप का वीडियो शेयर किया, जिसमें छत पर टंगे पौधे के गमले दिखाई दे रहे हैं.










पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि अमृतसर में भूकंप से अभी तक किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है. उन्होंने कहा कि लोकल प्रशासन हालात पर करीब से निगाह रखे हुए हैं. उन्होंने सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की है.



भूकंप क्यों आता है?
हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है. ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं. इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है.


भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. सैंकड़ो किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है. लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर सुनामी उठती है.