नई दिल्ली: कोरोना केस लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं. इस बीच ऐसे मामले भी सामने आ रहे है जहां RT-PCR टेस्ट में नतीजे नेगेटिव है लेकिन लक्षण है. वहीं सीटी स्कैन करने पर फेफड़ों में संक्रमण और पैच दिखता है जिससे संक्रमण का पता चलता है. इस बारे में एबीपी न्यूज संवाददाता प्रफुल श्रीवास्तव ने आईसीएमआर के एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिकेबल डिजीज के हेड डॉ समीरण पांडा से खास बात की.


सवाल- कोरोना टेस्ट में रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है लेकिन जब CT स्कैन हो रहा है तो फेफड़ो में पैच और संक्रमण मिल रहा है. ऐसा क्यों?
जवाब- कोरोना वायरस के बारे में दुनिया को जब पहली बार पता चला तो उसी टाइम टेस्ट किट आए थे. उसी टाइम ही पता चला कि कुछ मरीज ऐसे हो सकते है RT-PCR करने पर इन्फेक्शन या वायरस की मौजूदगी नहीं मिलेगी लेकिन जो क्लीनिकल लक्षण है वो देख कर आप एक क्लीनिकल अंदाजा लगा सकते हैं कि शायद सार्स कोव-2 की वजह से चेस्ट एक्सरे चेंज है, वो उसकी वजह से है. लेकिन ये बहुत सारे मरीजों को हो रहा है वो गलत है एक दो केस ऐसे अभी आ रहे हैं. इससे घबराने की जरूरत नहीं है. कोई भी टेस्ट हो उसकी एक सेंसिटिविटी होती है. सेंसिटिविटी मतलब वो पकड़ लेंगे जिस कारण बीमारी हो रही है या लक्षण दिखाई दिया है. ये कभी 100% होता नहीं है. लेकिन ज्यादातर मरीज अभी भी RT-PCR में पॉजिटिव आ रहे हैं. इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि घबराने की जरूरत नहीं है. 


सवाल- क्या ऐसा हो सकता है कि वायरस में म्युटेशन हो चुका हो तब भी जब हम स्वैब लेते है तो नाक या गले में ना मिले और वो फेफड़ो में असर डाल रहा हो?
जवाब- आप पूछ रहे है कि टेस्ट किट वायरस को न पकड़ पाए ऐसी स्थिति है क्या? क्योंकि वायरस में हमें पता है बदलाव होता है लेकिन ये भी समझना होगा कि हम सिर्फ एक जीन को पकड़ कर निदान नहीं करते है, अभी भारत में जो निर्देश है उसमें हम दो या तीन जीन पकड़ते है और फिर डायगनोसिस करते है. तो ये मैं कहना चाहता हूं कि एक जीन को पकड़ कर हम जांच करते है और उसमें बदलाव आ गया तो शायद हम पकड़ नहीं पाते. लेकिन भारत में जो फैसला लिया है दो जीन या तीन जीन देखते है तभी डायगनोसिस करते है. तो वायरस में बदलाव आ सकते है लेकिन जो तीन जीन हम RT-PCR टेस्ट करते है वो तीनों में परिवर्तन आ जाए, ऐसे कोई एविडेंस नहीं मिले है.  


सवाल- ये सवाल इसलिए उठ रहे है क्योंकि ऐसे बहुत मरीज आए है, तो ऐसा अगर होता है कि RT-PCR नेगेटिव है लेकिन लक्षण है तो क्या सलाह देंगे है.
जवाब- मेरा सलाह दो है कि मान लीजिए कि आपको बुखार खांसी सांस की तकलीफ है तो तुरंत डॉकटरों से सलाह लीजिए लेकिन बीमारी का इलाज खुद नहीं करना है. डॉक्टरों के पास जाना है जो आपका इलाज करते है. वहीं जो आपके हाथ में है वो आपको करना है मास्क लगाना और हाथ धोना. क्योंकि नया म्यूटेंट हो या पुराना हो फैलता है एक ही तरीके से तो हम क्यों सावधानी न बरतें. वो पालन करना है. 


सवाल- RT-PCR अगर गोल्ड स्टैंडर्ड है लेकिन उसमें अगर से केस आ रहे तो ऐसे कितने केस आ रहे है?
जवाब- मैं ये कहूंगा कि RT-PCR टेस्ट करना चाहिए. सारे स्टेट, कोई राज्य एंटीजन टेस्ट कर रहे थे उन्हें भी RT-PCR करना चाहिए. क्योंकि उसकी सेंसिटिविटी ज्यादा है एंटीजन की कम है. जिस चीज की आप बात कर रहे हैं वो ज्यादा मरीज में दिख नहीं रहा है. वो पहली बार भी था यानी पिछले साल था तो ऐसा नहीं है कि पहली बार आ गया है. आतंकित होने की जरूरत नहीं है. डर से कोई काम नहीं बनता है. धीरज रखिये मास्क इस्तेमाल कीजिये और लक्षण आने पर डॉक्टरों को दिखाइए.


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