Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग दुर्घटना को 10 दिन से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन वहां फंसे 41 मजदूरों को अब तक बाहर नहीं निकाला जा सका है. हालांकि, कुछ मजदूरों के परिवारवालों ने वॉकी टॉकी की मदद से टनल में फंसे अपने प्रियजनों से बात की. इस बीच इंद्रजीत कुमार नाम के शख्स ने भी टनल में फंसे अपने परिजनों से बात की. 


एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक इंद्रजीत ने बताया कि टनल में उनके बड़े भाई विश्वजीत और रिश्तेदार सुबोध कुमार फंसे हैं. उन्होंने कहा, "मेरे भाई ने मुझसे चिंता न करने के लिए कहा और कहा कि हम जल्द ही बाहर मिलेंगे."


'बच्चे कर रहे लौटने का इंतजार'
झारखंड के गिरिडीह के रहने वाले इंद्रजीत ने बुधवार (22 नंवबर)  को कहा, "विश्वजीत के तीन बच्चे उसके लौटने का इंतजार कर रहे हैं और उसके लिए प्रार्थना कर रहे हैं. मैंने उसे दिवाली पर फोन किया था, लेकिन संपर्क नहीं हो सका. जब मैंने उसके एक सहकर्मी से संपर्क किया तो उसने मुझे बताया कि विश्वजीत सुरंग के अंदर फंस गया है. मैं अगले दिन यहां पहुंचा."


उन्होंने कहा कि मंगलवार (21 नंवंबर) को बचाव दल की ओर से जारी मजदूरों के एक वीडियो में उन्होंने विश्वजीत और सुबोध को देखा. उन्होंने कहा, "वे दोनों ठीक हैं. आज मैंने उनकी आवाजें सुनीं. उन्होंने मुझसे कहा कि कुछ और घंटों की बात है. हम जल्द बाहर निकल आएंगे."


'फिक्र न करें और हम जल्द ही मिलेंगे'
इंद्रजीत की ही तरह देवाशीष ने भी अपने बहनोई सोनू शाह से बात की. सोनू भी सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं. देवाशीष ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मजदूर जल्द ही टनल से बाहर आ जाएंगे. देवाशीष ने कहा, "आज हमने अपने परिवार के सदस्यों से बात की. सोनू ने मुझसे बार-बार कहा, ''अब फिक्र न करें और हम जल्द ही मिलेंगे." उन्होंने कहा कि उनके परिवार को अखबार में सोनू का नाम देखने के बाद पता चला कि वह सुरंग के अंदर फंस गए हैं.


'आवाज सुनकर मिली राहत'
वहीं, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के रहने वाले बिक्रम सिंह भी अपने भाई पुष्कर सिंह का इंतजार कर रहे हैं. बिक्रम ने कहा, "आज पुष्कर की आवाज सुनकर मुझे थोड़ी राहत महसूस हुई. मुझे उम्मीद है कि मैं जल्द ही उनसे मिलूंगा. मेरा भाई एक बहादुर आदमी है. उसने मुझे खुश रहने के लिए कहा और मुझे यकीन है कि वह अंदर से दूसरों को प्रेरित कर रहा होगा."


अपने भाई वीरेंद्र से दोबारा मिलने का इंतजार कर रहे बिहार के बांका से आए देवेंद्र ने कहा, "मैंने इस साइट पर काम किया है, इसलिए मुझे पता था कि इस सुरंग के ढहने संभावना थी. मैं अब खुश और संतुष्ट हूं कि बचाव अभियान फिर से शुरू हो गया है."


मजदूरों को बाहर निकालने के लिए काम जारी
गौरतलब है कि टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का काम जारी है. अधिकारियों के अनुसार बचावकर्मियों ने मलबे में 45 मीटर तक चौड़े पाइप डाले हैं. हालांकि, मजदूरों तक पहुंचने के लिए उन्हें लगभग 12 मीटर और ड्रिल करना होगा.

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