अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका की टेक कंपनियों को विदेशी कुशल कर्मचारियों की जरूरत है. उनके बिना अमेरिकी लोगों को कंप्यूटर चिप्स और दूसरी तकनीकी चीजें बनाना सीखना मुश्किल होगा. यह बात उन्होंने US-Saudi Investment Forum में कही. उन्होंने बताया कि विदेशी कर्मचारियों की मदद से ही अमेरिकी श्रमिक नई तकनीक सीख सकते हैं.

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ट्रंप के इस बयान से उनके समर्थक नाराज हैं. उन्हें लगता है कि ट्रंप अब America First की नीति से दूर जा रहे हैं. वहीं, यह खबर भारत के पेशेवरों के लिए अच्छी है, क्योंकि अमेरिका में विदेशी कुशल कर्मचारियों का बड़ा हिस्सा भारतीय हैं.

ट्रंप ने क्या कहा?

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ट्रंप ने कहा, “अगर आप अरबों डॉलर की कंप्यूटर चिप फैक्ट्री खोलते हैं, जैसे एरिजोना में हो रही है तो आप बेरोजगार लोगों को काम पर नहीं रख सकते. हजारों लोगों को लाना पड़ेगा और मैं उनका स्वागत करूंगा. वे हमारे लोगों को सिखाएंगे कि कंप्यूटर चिप्स और दूसरी तकनीक कैसे बनती है.” इस इवेंट में सऊदी और अमेरिकी बड़े बिजनेस लीडर भी मौजूद थे, जिनमें Nvidia के CEO जेनसन हुआंग और Elon Musk भी शामिल थे.

ट्रंप ने कहा कि अमेरिका में कुछ खास तकनीकी काम करने वाले लोग नहीं हैं. इसलिए नए उद्योगों को चलाने के लिए विदेशी कर्मचारियों की जरूरत है. उन्होंने MAGA समर्थकों से कहा कि उन्हें आलोचना सहनी पड़ेगी, लेकिन यह लोग अमेरिकी कर्मचारियों को नई तकनीक सिखाने में मदद करेंगे.

H-1B धारकों में 73% भारतीय

पिछले हफ्ते Fox News के इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा था कि H-1B वीज़ा की जरूरत इसलिए है क्योंकि अमेरिका में हर तरह की तकनीकी प्रतिभा मौजूद नहीं है. H-1B वीजा अमेरिकी कंपनियों को छह साल तक विदेशी कुशल कर्मचारियों को काम पर रखने की अनुमति देता है.

भारत ने हमेशा इस वीजा में बड़ी हिस्सेदारी बनाई है. वर्तमान में H-1B धारकों में 73% भारतीय हैं. हालांकि, हाल ही में कई रिपब्लिकन और ट्रंप के सहयोगियों ने इस वीजा के विरोध में आवाज उठाई और प्रशासन ने वीजा आवेदन शुल्क $100,000 तक बढ़ा दिया.

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