नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली को एक बार फिर प्रदूषण का डर दिल्लीवासियों को सता रहा है. ऐसे में दिल्ली सरकार से लेकर केंद्र सरकार सब इससे निपटने की तैयारियों में लग गए हैं. अब दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने भी अपने कदम आगे बढ़ाए हैं. दरअसल दिल्ली के कई इलाकों में मेट्रो का काम चल रहा है. ऐसे में डीएमआरसी ने परियोजना स्थलों पर प्रदूषण से निपटने के लिए इसके ठेकेदारों और साइट पर कार्यरत कर्मियों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के समस्त आवश्यक उपायों पर कड़ी निगरानी बैठा दी है.


बारीकी से हो रही जांच
डी.एम.आर.सी के अभियान के तहत प्रदूषण के उपायों के अनुपालन की जांच के लिए किए जाने वाले निरीक्षणों की संख्या भी बढ़ाई गई है. यही नहीं इस अभियान के तहत डीएमआरसी के पर्यावरण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के पर्यवेक्षण में बनी टीमें सभी साइटों का दौरा करती हैं और इस संबंध में की गई व्यवस्थाओं की बारीकी से जांच करती हैं. डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक डॉ. मंगू सिंह इस अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.


ये टीमें यह जांच करती हैं कि निरंतर उड़ती धूल/हवा को रोकने के लिए क्या बैचिंग प्लांटों के चारों ओर कम से कम 6 मीटर ऊंचे बेरिकेड लगाए गए हैं और क्या बैचिंग प्लांटों के भीतर कन्वेयर बेल्टों को पूरी तरह से कवर किया गया ताकि धूल निकलने से रोकी जा सके. इसी तरह जहां नियमित तौर पर वाहनों की आवाजाही हो, वहां यह जांच की जा रही है कि निकास द्वारों पर पहियों को धोने की सुविधा हो, ताकि सार्वजनिक सड़क पर मिट्टी/कीचड़ को फैलने से रोका जा सके. कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े सभी वाहनों के अनिवार्य प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्रों (पीयूसी) की वैधता की जांच भी की जा रही है. अभियानों में यह निगरानी भी की जाती है कि क्या समस्त निर्माण सामग्री और मलबे को ढके हुए वाहनों में ले जाया जा रहा है.


इन बातों का रखा जा रहा है ध्यान
साइट्स पर धूल की हो रोकथाम - प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण है सड़कों से उड़ती धूल खासकर निर्माणाधीन स्थानों पर धूल के कण ज़्यादा होते हैं ऐसे में दिल्ली मेट्रो की कोशिश के सभी साइटों से धूल के प्रसार को रोकने के लिए पानी का छिड़काव किया जाए और साथ ही नोजल-बेस्ड मिस्ट सिस्टम का उपयोग किया जाना जरूरी. दिल्ली के कई स्थानों पर मेट्रो के विस्तार का कार्य चल रहा है ऐसे में जमीन की खुदाई करने अथवा मलबा उठाने जैसी चुनौतियां का सामना करने के लिए निरीक्षण टीमों को संगठित किया है, जिसका कार्य ये सुनिश्चित करना होगा के कार्य रुके हुए होने पर भी पानी का छिड़काव किया जाए और केवल बेरकेटिड एरिया में ही कंस्ट्रक्शन गतिविधियां जारी रहे. यदि किसी आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों के आसपास कंस्ट्रक्शन का कार्य हो रहा हो, तो बेरिकेड की ऊंचाई बढ़ाकर 10 मीटर और भवन की एक-तिहाई ऊंचाई के बराबर, इनमें जो भी कम हो, रखी जाती हो और डीएमआरसी अधिकारियों द्वारा इस बारे में पुष्टि की जा रही है.


समाग्री का ढका होना आवश्यक
टीमें यह जांच भी करती हैं कि सामग्री को ढककर रखे जाने का व्यवस्था के अनुपालन के साथ इकट्ठा रखी गई सामग्री को ढककर रखा जाता हो. दिशानिर्देशों के अनुसार, साइट पर रखी जाने वाली मिट्टी, रेत के मिश्रण, किसी भी प्रकार के मलबे की धूल से प्रभावित होने वाली सभी सामग्रियों को तिरपाल से पूरी तरह से ढककर या फिर ग्रीन नेट को उचित तरीके से बांधकर कवर किया जाना चाहिए ताकि धूल किसी भी रूप में हवा में न फैले. सीएंडडी अपशिष्ट नामित स्टोरेज स्पेस और शीघ्र निपटान हेतु नामित रिसायकल प्लांट में भेजे जाने वाले सीएंडडी अपशिष्ट की जांच की जा रही है.


कर्मचारियों को बांटे गए मास्क
साइट्स पर मौजूदा लोगों को क्या निर्माण कर्मियों के धूल से बचाव के लिए मास्क उपलब्ध कराए गए हैं. इसकी जांच भी की जा रही है. इस अभियान का आयोजन प्रदूषण नियंत्रण संबंधी नियमों का पालन करने के महत्व को लागू करने के लिए किया जा रहा है, विशेषकर इस परिप्रेक्ष्य में जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हाल ही में हवा की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है. वर्तमान परिदृश्य में, जब प्रदूषण अपने उच्च स्तर पर है, डीएमआरसी द्वारा प्रदूषण न फैलाने वाली गतिविधियों जैसे मचान बनाना, शटरिंग/डी-शटरिंग के कार्य, भूमिगत कार्य, बिजली के कार्य, वायरिंग, सिगनलिंग कार्य इत्यादि जैसी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.


डीएमआरसी ने अपनी सभी साइटों और परिसरों में प्रदूषण नियंत्रण के निम्नलिखित उपायों पर हमेशा बहुत ध्यान दिया है. इन निरीक्षणों के अलावा, साइटों पर हरियाली बढ़ाने के लिए समय-समय पर नियमित तौर पर पौधारोपण अभियान भी चलाए जाते हैं. इस समय, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगभग पांच से छह साइटों पर कार्य चल रहा है.


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