नई दिल्लीः कांग्रेस के पूर्व महासचिव और एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह का भोपाल में किया गया पैदल मार्च इन दिनों सुर्खियों में है. कोई इसे दिग्विजय की खिसकती राजनीतिक जमीन से जोड़कर देख रहा है तो कोई इसे दिग्विजय का शक्ति प्रदर्शन करार दे रहा है तो कोई इसे दिग्विजय सिंह की नौटंकी बता रहा है.


एमपी की राजधानी भोपाल में गुरूवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर भारी भीड़ के बीच दिग्विजय सिंह ने जब प्रदेश की राजधानी के टीटी नगर थाने की तरफ कूच किया तो नेताओं और कार्यकर्ताओं में शिवराज सरकार को उखाड़ फेंकने का जोश दिखा. दरअसल सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दिग्विजय सिंह को जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान सतना में देशद्रोही कह दिया जिसको लेकर दिग्विजय सिंह ने मोर्चा खोलते हुए भोपाल में हाजिरी देकर पुलिस को गिरफ्तारी देने की बात कही और शिवराज सिंह चौहान को चैलेंज किया.


दिग्विजय सिंह ने भोपाल में शक्ति प्रदर्शन करते हुए हजारों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तारी देने के लिए थाने पहुंचे. लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज न होने की बात कहकर उन्हें वापस लौटा दिया. लेकिन हजारों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ दिग्विजय सिंह ने इसी बहाने प्रदेश की राजधानी में शक्ति प्रदर्शन किया. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो जिस तरह कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उन्हें नजर अंदाज कर रहा है उसको देखते हुए यह शक्ति प्रदर्शन दिग्विजय ने किया. क्योंकि हाल ही में एआईसीसी की सीडब्ल्यूसी की लिस्ट में दिग्विजय सिंह का नाम नहीं था. इससे पूर्व में भी उन्हें महासचिव पद से भी हटा दिया गया. दिग्विजय सिंह अब मात्र कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा के सदस्य है.


जबकि यह भी माना जा रहा है कि सीएम शिवराज सिंह और बीजेपी चौथी बार भी चुनाव जीतने के लिए दिग्विजय सिंह के चेहरे का उपयोग करना चाहते हैं. यही वजह है कि शिवराज सिंह सहित बीजेपी के सभी नेताओं के भाषणों में दिग्विजय सिंह और उनके दस वर्ष के कार्यकाल की बात करना नहीं भूलते.


बहरहाल भोपाल में दिग्विजय सिंह के पैदल मार्च को जहां लोग कांग्रेस पार्टी के भीतर अपना स्थान बताने के लिए शक्ति प्रदर्शन बता रहे हैं तो वही 71 साल के दिग्विजय सिंह की खिसकती राजनीतिक जमीन से जोड़कर देखते हैं. जबकि बीजेपी दिग्विजय सिंह को प्रदेश की राजनीति के केन्द्र में रखकर राजनीतिक लाभ लेने की सोच रही है.