नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा है कि वह धर्म संसद मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे. कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में 17 अप्रैल को होने जा रही धर्म संसद पर कोई आदेश देने से मना कर दिया. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता स्थानीय प्रशासन को बताए कि इस आयोजन से क्या समस्या हो सकती है. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार, 22 अप्रैल को होगी.


क्या है मामला?
12 जनवरी को कोर्ट ने हरिद्वार और दिल्ली में हुई धर्म संसद में दिए गए भड़काऊ भाषणों के मामले पर नोटिस जारी किया था. यह नोटिस पत्रकार कुर्बान अली की याचिका पर जारी हुआ था.


याचिकाकर्ता ने 17 दिसंबर को हरिद्वार में हुई धर्म संसद और 19 दिसंबर को दिल्ली में हुए एक और कार्यक्रम की जानकारी दी थी. यह बताया था कि दोनों कार्यक्रमों में जिस तरह के भाषण दिए गए, वह आईपीसी की कई धाराओं के खिलाफ थे. इनमें वक्ताओं ने खुलकर मुस्लिम समुदाय के संहार की बातें कहीं. लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है. मामले में सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद उत्तराखंड पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए यति नरसिंहानंद समेत कई लोगों की गिरफ्तारी की थी.


आज क्या हुआ?
आज मामले की सुनवाई शुरू होते ही उत्तराखंड सरकार ने हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा. जस्टिस ए एम खानविलकर और ए एस ओका की बेंच ने इसकी अनुमति दे दी. इसके बाद याचिकाकर्ता कुर्बान अली के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इस रविवार को हिमाचल प्रदेश में धर्म संसद है. मामले में तुरंत कोई आदेश दिया जाना चाहिए.


इस पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं. वह स्थानीय प्रशासन को बता सकते हैं कि यह आयोजन किस तरह कानून विरुद्ध है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि वह अपनी याचिका की कॉपी हिमाचल प्रदेश के वकील को सौंपे, ताकि वह अगली सुनवाई में जवाब दे सकें.


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