कश्मीरी घाटी में सीआरपीएफ सहित सरकार की सभी एजेंसियां अनुकूल माहौल बनाने की कोशिश कर रही हैं ताकि कश्मीरी पंडितों की घर वापसी हो सके. सीआरपीएफ के महानिदेशक ने ये भरोसा दिलाया है. सीआरपीएफ के 83वें स्थापना दिवस (19 मार्च) से पहले महानिदेशक राजधानी दिल्ली में प्रेंस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान एबीपी न्यूज के इस सवाल पर कि क्या कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के लौटने का अनुकूल माहौल बन गया है, डीजी ने कहा कि उनका मानना है कि कश्मीर में कोई भी आ-जा सकता है उसमें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन कश्मीरी-पंडितों के लिए हम सभी अनुकूल माहौल बनाने में जुटे हैं. डीजी कुलदीप सिंह के मुताबिक ये बात सही है कि कश्मीर घाटी में सीआरपीएफ के कई ऐसे कैंप हैं जो कश्मीरी पंडितों के घरों और हवेलियों से चल रहे हैं. इसके अलावा कुछ कैंप मंदिर परिसर से भी स्थापित किए गए हैं.


कश्मीर पंडितों के लिए अनुकूल माहौल बनाने की पूरी कोशिश- CRPF डीजी


डीजी के मुताबिक, ये घरों और मंदिरों को सुरक्षा देने से जुड़ा मामला भी है. अगर कश्मीरी पंडित उनसे घर खाली करने के लिए कहेंगे तो वे खाली कर देंगे, उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर सीआरपीएफ के डीजी ने कहा कि स्क्रीनिंग को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. लेकिन उन्होनें ये जरुर कहा कि अगर कोई फिल्म या ड्रामा प्रेरणा देता है तो उसे देखा जा सकता है और इसको लेकर बैठक में फैसला लिया जाएगा. डीजी ने बताया कि पिछले साल तक सीआरपीएफ के स्थापना दिवस को लेकर पशोपेस कि स्थिति बनी रहती थी. क्योंकि सीआरपीएफ के चार अलग-अलग स्थापना दिवस थे. लेकिन इस साल से फैसला लिया गया है कि 19 मार्च को ही सीआरपीएफ-दिवस मनाया जाएगा. गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार, पहला स्थापना दिवस राजधानी दिल्ली से बाहर जम्मू में मनाया जाएगा. जिसमें गृहमंत्री अमित शाह के शामिल होने की संभावना है.


कश्मीर घाटी में आतंकी वारदातों में आई कमी- डीजी


सालाना प्रेस कांफ्रेंस में सीआरपीएफ डीजी ने आंकड़ों के साथ बताया कि किस तरह से पिछले सालों के मुकाबले पिछले एक साल में कश्मीर घाटी में आंतकी वारदातों में कमी आई है. उन्होनें बताया कि पिछले एक साल में सुरक्षाबलों के साथ हुई 91 मुठभेड़ों में 175 आतंकियों को ढेर किया गया. इसके साथ ही 183 आतंकियों को गिरफ्तार किया भी गया- डीजी ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी सीआरपीएफ की बड़ी तैनाती है और नक्सलियों पर लगाम लगाने की कोशिशें जारी हैं. हालांकि उन्होनें ये भी कहा कि नक्सलियों के गढ़ में सड़क और दूसरा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. एनकाउंटर के दौरान घायल जवानों को एयरलिफ्ट करने में आ रही दिक्कतों को लेकर उन्होनें कहा कि कई बार मौसम या फिर नाइट-फ्लाइंग की वजह से मना कर दिया जाता है अन्यथा बीएसएफ की एयर विंग और वायुसेना हमेशा मदद करने के लिए तैयार रहती है.


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