नई दिल्लीः मोदी सरकार के चार साल पूरे होने जा रहे हैं और इसके साथ ही 2019 के लिए उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है. कांग्रेस और बीजेपी के बीच राजनीतिक तलवारें खिंची हुई हैं. बीजेपी समर्थित एनडीए और कांग्रेस समर्थित यूपीए दोनों घटकों के धुरंधर अपने तरकश से हर वो तीर छोड़ रहे हैं जिससे विपक्षी धड़े को चित किया जा सके. भारतीय राजनीति की दिशा तय करने वाली ताकतवर ईकाई 'जनता' क्या सोच रही है इसकी नब्ज को टटोलने के लिए एबीपी न्यूज लोकनीति-सीएसडीएस ने सर्वे किया है. इस सर्वे में ये पता चलेगा कि देश का मिडिल क्लास, दलित वर्ग, कारोबारी वर्ग क्या सोच रहा है और अगर इस समय चुनाव होते हैं तो उनका रुझान किस तरफ हो सकता है.

क्या 2019 की राह पीएम मोदी के लिए मुश्किल होने वाली है, सीएसडीएस और लोकनीति के सर्वे में जो आंकड़ा सामने आया है उसमें कई बातें हैरान करने वाली हैं, एक साल के भीतर दो बार किए गए सर्वे में एनडीए और यूपीए के आंकड़ों में बड़े बदलाव हुए हैं.

मिडिल क्लास का क्या है मूड एनडीए  मई 2017 - 46 मई 2018 - 39 7% का नुकसान

यूपीए मई 2017 - 29 मई 2018 - 34 5% का फायदा

साफ दिख रहा है कि पिछले एक साल में एनडीए की लोकप्रियता में कमी आई है. मई 2017 में जहां 46 फीसदी जनता एनडीए के साथ थी वहीं मई 2018 में एनडीए के प्रति रुझान 39 फीसदी रह गया यानी सीधा 7 फीसदी की गिरावट देखी गई है.

इसके अलावा पिछले 1 साल में यूपीए की लोकप्रियता के मोर्चे पर देखें तो मई 2017 में यूपीए को 29 फीसदी लोग पसंद कर रहे थे वहीं मई 2018 में 34 फीसदी लोग यूपीए के समर्थन में दिख रहे थे. यानी सीधा 5 फीसदी का फायदा यूपीए को होता दिख रहा है.

गरीब वर्ग की क्या है पसंद एनडीए मई 2017 - 37 मई 2018 - 34 3% का नुकसान

यूपीए मई 2017 - 30 मई 2018 - 30

गरीब वर्ग की पसंद देखी जाए तो एक साल में एनडीए के प्रति उनके रुझान में भी कमी आई है. जहां पिछले साल मई में 37 फीसदी लोग एनडीए को पसंद कर रहे थे वहीं इस मई में एनडीए के प्रति 34 फीसदी लोग ही समर्थन दिखा रहे थे. यानी एक साल में एनडीए की लोकप्रियता में 3 फीसदी की मामूली गिरावट आई है.

वहीं एक साल में यूपीए की लोकप्रियता जस की तस है और ये पिछले साल मई में भी 30 फीसदी थी और इस साल मई में भी 30 फीसदी पर ही है.

दलितों के लिए कौन सी पार्टी है पसंदीदा बीजेपी 2014 - 24 2018 - 22 2% का नुकसान

कांग्रेस 2014 - 18 2018 - 23 5% का फायदा

दलित लोगों के मन की थाह लेने के लिए सर्वे किया गया तो ये बात सामने आई कि साल 2014 में जहां बीजेपी को 24 फीसदी दलित वोट देने की बात करते थे वहीं साल 2018 में 22 फीसदी दलित ही वोट देने के लिए तैयार हैं. यानी एनडीए के लिए 4 सालों में 2 फीसदी का दलित वोट का नुकसान होता दिख रहा है.

कांग्रेस की बात की जाए तो साल 2014 में 18 फीसदी दलित कांग्रेस के साथ दिख रहे थे और साल 2018 में 23 फीसदी दलित कांग्रेस का साथ देने की बात कर रहे हैं. यानी 4 साल में कांग्रेस के लिए दलितों का साथ 5 फीसदी बढ़ता दिखाई दे रहा है.

कारोबारियों का क्या है रुझान एनडीए मई 2017 - 50 मई 2018 - 40 10% का नुकसान

यूपीए मई 2017 - 25 मई 2018 - 32 7% का फायदा

बीजेपी के सबसे बड़े वोट बैंक कारोबारियों का मूड क्या है जब इसे जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि बीजेपी की लोकप्रियता में पिछले एक साल में बड़ी गिरावट आई है. मई 2017 में जहां 50 फीसदी कारोबारी एनडीए के साथ दिख रहे थे वहीं मई 2018 में 40 फीसदी कारोबारी ही एनडीए के समर्थन में दिख रहे हैं. यानी 1 साल में कारोबारियों के बीच एनडीए की लोकप्रियता में सीधा 10 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.

कारोबारियों के बीच यूपीए के लिए कैसा रुझान है ये जानें तो पता चलता है कि इसमें पिछले एक साल में अच्छा इजाफा हुआ है. मई 2017 में जहां 25 फीसदी लोग यूपीए के पक्ष में थे वहीं मई 2018 में 32 फीसदी कारोबारी यूपीए के साथ दिखाई दे रहे हैं. यानी एक साल में 7 फीसदी का फायदा यूपीए को होता दिख रहा है.

कैसे हुआ सर्वे?- मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर एबीपी न्यूज़ ने CSDS-लोकनीति के साथ देश का मूड जानने की. ये सर्वे 28 अप्रैल 2018 से 17 मई 2018 के बीच किया गया, 19 राज्यों में 700 जगहों की 175 लोकसभा सीटों पर जाकर 15859 लोगों की राय ली गई.

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