नई दिल्ली: अनलॉक फेज 2 में जहां एक ओर अभी भी दिल्ली सरकार ने कई सार्वजनिक जगहों को, जिसमें स्विमिंग पूल भी शामिल हैं, खुलने की अनुमति नही दी है. वहीं हालात तो ऐसे बन गए हैं कि शायद उनकी अनुमति से कोई फर्क ही न पड़े. ऐसा हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि बरसात के मौसम में राजधानी दिल्ली की सड़कें अपने आप मे ही स्विमिंग पूल्स में तब्दील हो गयी हैं.


इंतजामों की खुली पोल


राजधानी में रविवार को बरसात के मौसम की पहली तेज बारिश हुई जिसके बाद सरकार की तमाम बदइंतजामियों का पर्दाफ़ाश हो गया. दिल्ली में अन्ना नगर बस्ती में लगभग 10 मकान नाले मे ढह गए, वहीं मिंटो ब्रिज के नीचे जलभराव मे कुंदन नाम के एक व्यक्ति की डूब के मृत्यु हो गयी. कई और इलाकों में जलठहराव से लोग परेशान नज़र आए.


आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी


दिल्ली की बदहाल स्थिति पर राजनीतिक घमासान रविवार से ही शुरू हो गया है, आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है लेकिन कई पीढ़ियों से चलती आ रही इस समस्या से आम आदमी त्रस्त है और समाधान की अपेक्षा कर रहा है.


घुटने तक भरा पानी


बुधवार को एक बार फिर दिल्ली में मूसलाधार बारिश के चलते अन्य इलाकों में जल भराव देखा गया. घंटो का जाम, सड़कों पर कई खराब वाहन और डीटीसी बस के साथ-साथ घुटने तक पानी मे चलते हुए लोगों की तस्वीरें आम हो गयी. धौला कुआँ एयरपोर्ट रोड पर पानी फुटपाथ के भी पार चला गया. बारिश रुकने के 4-5 घण्टे बाद भी चारों तरफ की सड़कें पानी में डूबी रहीं.


10 सालों से यही स्थिति


पिछले 10 सालों से इसी रोड पर अपनी रेहड़ी लगाने वाले अमर कुमार राय ने हमें बताया कि आज बारिश के पानी से सड़क की बहुत ही बुरी स्थिति हो गयी थी. फुटपाथ तक पानी आ गया था. उनकी आधी रेहड़ी भी पानी मे डूब गई थी.


उसी के साथ साथ वो यह भी कहते हैं, "पिछले 10 सालों से ऐसी स्थिति देख रहा हूं. हर साल ही ऐसा होता है. 23 साल की उम्र हो गयी है और बचपन से ही यही रहता हूँ, नाली की इतने सालों में कभी सफाई नही की गई है."


रोहिणी सेक्टर 21 में सड़क दो फुट तक डूबी पानी में


वहीं, रोहिणी सेक्टर 21 की कॉलोनी के लोग भी जल भराव से बेहद परेशान नज़र आये। कॉलोनी के बाहर लगभग 1 किमी लम्बी मुख्य सड़क डेढ़ से दो  फुट के पानी मे डूबी हुई नजर आयी. हालत देख कर यूँ लगा कि राजधानी में अगर लोग अपनी गाड़ियों से न चलकर नाव से सफर करें तो शायद अपने गंतव्यों तक ज़्यादा जल्दी पहुंच पाएं.


कॉलोनी के कुछ लोगों से जब हमने बात की तो सभी ने जलभराव की स्थिति को लेकर अपने दुख बयान किये. इनकी शिकायतों, और अनुभवो से राजधानी के कई इलाकों में रह रहे लोग सहमती रखेंगे.


प्रशासन टाल रहा जिम्मेदारी


अजय गुप्ता  के अनुसार, इस जलभराव से सबसे बड़ी समस्या जो खड़ी होती है वो है सेक्टर 21 में आने जाने का रास्ता बंद हो जाना. दूसरा रास्ता बहुत ही घूम कर आता है.  20000 की आबादी वाले सेक्टर 21 में हम अपने घरों में कैद हो गए हैं. यह पानी हमारे घरों में पहुंच जाता है.


रविवार को ऐसे हालात हो गए थे कि घुटनो तक पानी पहुंच गया था. कई घरों के अंदर तक पानी पहुंच गया था, जहां लिफ्ट के अंदर तक पानी पहुंच जाता है.समस्या आज की नही है, जबसे सेक्टर 21 बसा है तबसे यह समस्या है. इसको लेकर कई बारी चिट्ठियां लिखी गयी हैं, आज कल सोशल मीडिया का ज़माना है, कई ट्वीट करने के बाद प्रशासन तो जागा लेकिन जो ठेकेदार काम करने आया उसने बारिश होने के करण काम करने से साफ इंकार कर दिया. प्रशासन सोया हुआ है, एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालता है लेकिन उसका हल लेकर नही आता.


स्कूल के बच्चे भी परेशान


व्हीलचेयर पर सवार मोहन जैन कहते हैं, हम बहुत परेशान हैं. कोई सुनने वाला नही हैं. हम अपाहिज आदमी हैं हम क्या करें.  बराबर में सरकारी स्कूल भी है जिसकी वजह से बच्चों को भी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. न पीड्ब्ल्यूडी न डीडीए ने समस्याओं का समाधान नही किया.


हफ्तों तक जमा रहता है पानी


शम्भू सिंह कहते हैं, सबसे बड़ी समस्या यह है कि कोरोना महामारी का समय है और यहां पानी हफ्ते-हफ्ते तक जमा रहता है. मच्छर पैदा होने का खतरा बना रहता है. यह पानी बारिश का ही नही है, पास की कॉलोनियों में से गटरों का पानी भी आता है. घरों के अंदर भी यह गन्दा पानी सप्लाई होता है. अक्सर हमारे यहां यह समस्या होती है.


पनपते हैं मच्छर


नीलम गम्भीर कहती हैं कि यहां अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पूरे जल ठहराव के कारण अंदर तक पानी पहुंच जाता है. पिछले कई सालों से समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मैं खुद एक बार गाड़ी में इस पानी मे फंस गयी थी. मच्छर-मखी पनपते हैं, बच्चो के लिए बेहद ही बुरा वातावरण है.


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