दिल्ली के एक इंस्टीटयूट में 17 लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने से लेकर अपनी लग्जरी कारों के लिए फर्जी राजनयिक नंबर प्लेट का इस्तेमाल करने तक, स्वयंभू धर्मगुरु स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ आरोपों की लिस्ट काफी लंबी है.

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चैतन्यानंद को डॉ. पार्थसारथी के नाम से भी जाना जाता है. जब से चैतन्यानंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, तब से चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं. कैसे चैतन्यानंद ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से आने वाली छात्राओं का यौन उत्पीड़न किया और उन पर निगरानी की. विरोध करने की हिम्मत करने पर उन्हें फेल करने की धमकी तक दे डाली.

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अलग-अलग नामों से खुलवाए थे बैंक अकाउंट

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 'बाबा' के खिलाफ चल रही कार्रवाई के बीच, अधिकारियों को पता चला है कि चैतन्यानंद ने बैंक खाते चलाने के लिए कथित तौर पर अलग-अलग नामों और जानकारियों का भी इस्तेमाल किया. जांचकर्ताओं ने बताया कि एफआईआर दर्ज होने के बाद बाबा ने 50 लाख रुपये से अधिक की निकासी की.

कब दर्ज हुई थी एफआईआर?

निजी प्रबंधन संस्थान के प्रशासन ने कहा कि 30 से अधिक छात्राओं के साथ एक वर्चुअल बैठक के दौरान, कई ने बाबा के खिलाफ यौन उत्पीड़न और धमकियां देने के आरोप लगाए, जिसके बाद 4 अगस्त को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

चैतन्यानंद ने दायर की थी अग्रिम जमानत याचिका

फरार चैतन्यानंद की ओर से भी अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई थी. दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को उनके खिलाफ दर्ज कथित वित्तीय अनियमितताओं के एक मामले में ज़मानत याचिका खारिज कर दी. स्वयंभू बाबा के खिलाफ जांच के दौरान पाया गया कि उन्होंने अलग-अलग दस्तावेज़ जमा करके कथित तौर पर 2 अलग-अलग नामों से बैंक खाता खुलवाया. 

पुलिस ने आगे कहा कि केस दर्ज होने के बाद से लगभग 50-55 लाख रुपये निकाले जा चुके हैं. दिल्ली पुलिस ने स्वयंभू बाबा से जुड़े 18 बैंक खातों और 28 फिक्स डिपॉजिट से लगभग 8 करोड़ रुपये फ्रीज कर दिए हैं.

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