Arvind Kejriwal-Manish Sisodia: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) और डिप्टी मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia)और आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav)  को वकील सुरेंद्र शर्मा द्वारा दायर एक आपराधिक मानहानि मामले में बरी कर दिया है. सुरेंद्र शर्मा ने दावा किया था कि इन तीनों ने मिलकर साल 2013 के विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2013) के अंतिम चरण में उनकी उम्मीदवारी रद कर दी थी. इसे लेकर वकील शर्मा ने दिल्ली के राउज कोर्ट (Delhi Rouse Avenue Court)में याचिका दायर की थी, जिसपर शनिवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता और एक पूर्व नेता को इस मामले में बरी कर दिया है.


अपराध साबित नहीं हो सका


कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) विधि गुप्ता ने शनिवार को आदेश पारित करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा उद्धृत मीडिया लेखों का अध्ययन किया गया है, हालांकि, शिकायतकर्ता इन रिपोर्टों से मानहानि का मामला स्थापित नहीं कर सका है. शनिवार को अदालत द्वारा आदेश सुनाए जाने के दौरान तीनों व्यक्ति अदालत में मौजूद थे.


जानिए क्या था मामला


मामला एक वकील सुरेंद्र कुमार शर्मा ने दायर किया था, जिनकी सुनवाई के दौरान खराब स्वास्थ्य के कारण मृत्यु हो गई थी. बाद में उनके भतीजे ने कोर्ट में केस को आगे बढ़ाना जारी रखा. शर्मा के अनुसार, उन्होंने इन नेताओं के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी और दलील दी थी कि 2013 में आम आदमी पार्टी से उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई थी और विभिन्न समाचार पत्रों में अपमानजनक तरीके से इसे प्रकाशित किया गया था.


सुरेंद्र कुमार शर्मा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 2013 में चुनाव से ठीक पहले AAP के कई स्वयंसेवकों ने उनसे संपर्क किया था, जिन्होंने उन्हें आम आदमी पार्टी के टिकट पर दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा था, यह कहते हुए कि अरविंद केजरीवाल उनके सामाजिक सेवा से खुश थे. बाद में उन्होंने मनीष सिसोदिया और योगेंद्र यादव द्वारा बताए जाने के बाद चुनाव लड़ने के लिए आवेदन पत्र भरने का फैसला किया कि आप की राजनीतिक मामलों की समिति ने उन्हें टिकट देने का फैसला किया है. हालांकि बाद में उन्हें इससे इनकार कर दिया गया था.


14 अक्टूबर, 2013 को, शिकायतकर्ता सुरेंद्र कुमार शर्मा ने दावा किया था कि विभिन्न प्रमुख समाचार पत्रों में लेखों में "इन राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल किए गए अपमानजनक, गैरकानूनी और अपमानजनक शब्द हैं, जिससे समाज में उनकी प्रतिष्ठा कम हुई है.


ये भी पढ़ें:


Explained: मनीष सिसोदिया का लैपटॉप और मोबाइल जब्त, जानें जांच एजेंसियां कैसे जुटाती हैं सबूत, पर्सनल डेटा को लेकर क्या हैं नियम