दिल्ली-एनसीआर में पटाखों से बैन हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 अक्टूबर, 2025) को फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल को अनुमति दी जा सकती है. दिल्ली सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की सिफारिश करते हुए कहा कि बच्चों को जश्न मनाने दिया जाना चाहिए. उन्होंने कोर्ट से पटाखे जलाने के लिए समयसीमा की पाबंदी नहीं रखने का भी आग्रह किया.

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बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान पटाखा उत्पादकों ने बैन पर ऐतराज जताते हुए कहा कि पराली और वाहन प्रदूषण की उपेक्षा कर सिर्फ पटाखों को निशाना बनाना गलत है. इस दौरान एसजी तुषार मेहता ने हल्के-फुल्क अंदाज में कहा, 'बच्चों को एक घंटा तो माता-पिता को मनाने में लग जाता है कि वह पटाखे जलाने उनके साथ चलें इसलिए, त्योहार पर समय सीमा की पाबंदी नहीं रखनी चाहिए.'

बच्चों के लिए न हो समयसीमा की पाबंदी, बोले SG तुषार मेहताएसजी मेहता ने कोर्ट से अनुरोध करते हुए कहा कि दीवाली पर कुछ दिन के लिए पटाखे जलाने के लिए समयसीमा की पाबंदी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बच्चों को कम से कम दो दिन तो पटाखे जलाने की इजाजत दी जाए. उन्होंने सीजेआई गवई से कहा, 'मेरे अंदर का बच्चा आपके अंदर के बच्चे को इस पर मनाने की कोशिश कर रहा है.' सीजेआई बी आर गवई ने एसजी तुषार मेहता के आग्रह पर कहा कि दो घंटे काफी होंगे... फिर उन्होंने कहा कि वह देखते हैं.

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दिल्ली सरकार की तरफ से एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट में कुछ सुझाव दिए और कहा कि सिर्फ उन्हीं उत्पादकों को ग्रीन पटाखों की बिक्री की इजाजत दी जाए, जो नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) और पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (PESO) से सर्टिफाइड हैं. साथ ही लड़ी वाले पटाखों के निर्माण और बिक्री पर पाबंदी जारी रखने का भी उन्होंने सुझाव दिया है. एसजी मेहता ने रात आठ बजे से 10 बजे तक पटाखे जलाने की समयसीमा तय करने का सुझाव दिया, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि उनका यह सुझाव स्वीकार न करें.

सीजेआई गवई ने पूछा- क्या पटाखों पर बैन से AQI सुधरा?सीजेआई गवई ने यह भी पूछा है कि साल 2018 में पटाखों पर बैन लगाए जाने के बाद दिल्ली-एनसीआर के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में कुछ सुधार हुआ है. एसजी मेहता ने बताया कि उसमें कुछ खास फर्क नहीं पड़ा है. सिर्फ कोरोना के समय पर कमी देखी गई थी, लेकिन उसके कारण कुछ और थे.