नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक ऐसे ठग को गिरफ्तार किया है, जो फर्जीवाड़ा कर लैब टेक्नीशियन से एम्स का डॉक्टर बन गया और खुद को स्वास्थ्य मंत्रालय का संयुक्त सचिव बता कर लाइजनिंग का काम करने लगा. यह ठग मूल रूप से मध्य प्रदेश के रीवा जिले का रहने वाला है, जिसने 12वीं पास करने के बाद लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा किया और फिर अपनी एक सैंपल कलेक्शन लैब खोली. लेकिन जब इसे घाटा हुआ तो यह एम्स का फर्जी डॉक्टर बन बैठा.
ठग ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक क्लीनिक खोला और खुद को डॉक्टर बताते हुए न केवल लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने लगा बल्कि अपनी फर्जी पहचान के माध्यम से आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से मिलकर कभी गन लाइसेंस तो कभी अन्य कामों की पैरवी करने लगा और इसी की एवज में लोगों से पैसे वसूलने लगा. दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने इसके पास से एम्स का फर्जी आईकार्ड व कई अन्य फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं. फिलहाल वह गाज़ियाबाद की एक सोसाइटी में रह रहा था.
क्या है मामला
अपराध शाखा के एडिशनल कमिश्नर पुलिस शिबेश सिंह ने बताया कि आरोपी का नाम देवेंद्र कुमार मिश्रा है, जो खुद को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का ज्वाइंट सेक्रेट्री और एम्स का असिस्टेंट प्रोफेसर बताता था. इसके पास से स्वास्थ्य मंत्रालय, ऐम्स और रीवा मध्य प्रदेश के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के फर्जी आई कार्ड बरामद किए गए हैं.
क्राइम ब्रांच के साइबर सेल को सूचना मिली कि एक व्यक्ति खुद को स्वास्थ्य मंत्रालय का सीनियर ब्यूरोक्रेट और एम्स का असिस्टेंट प्रोफेसर बताकर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से मिलता है और लाइजनिंग का काम करता है. कभी किसी व्यक्ति के लिए शस्त्र लाइसेंस बनवाने की पैरवी करता है, तो कभी किसी अन्य काम की पैरवी करता है और इसकी एवज में पैसे भी वसूलता है. इस सूचना के आधार पर पुलिस टीम ने देवेंद्र कुमार मिश्रा उर्फ गुड्डू को गिरफ्तार कर लिया.
कैसे बना लैब तकनीशियन से फर्जी डॉक्टर
पूछताछ में देवेंद्र कुमार मिश्रा ने खुलासा किया कि उसने 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा किया था. शुरुआत में उसने मध्यप्रदेश में ही सैंपल कलेक्शन की दुकान खोली, जिसके बाद वह 2008 में दिल्ली आया और विनोद नगर में उसने ब्लड सैंपल कलेक्शन की अपनी शॉप खोली. व्यापार में घाटा होने के बाद उसने फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया. अपने कॉन्टेक्ट्स के माध्यम से वह लोगों के लिए लाइजनिंग का काम करने लगा. उसने एम्स अस्पताल, स्वास्थ्य मंत्रालय आदि के अपने फर्जी आई कार्ड तैयार करवाएं और फिर आईएएस/आईपीएस अधिकारियों से मिलकर लोगों के कामों की पैरवी करने लगा और लोगों से पैसे वसूलने लगा. वह सेना अस्पताल का कंसलटेंट डॉक्टर भी खुद को बताता था.
क्या क्या हुआ बरामद
पुलिस ने इसके पास से 2 मोबाइल फोन, स्वास्थ्य मंत्रालय का फर्जी आई कार्ड, एम्स के फर्जी आई कार्ड, रीवा, मध्य प्रदेश स्थित संजय गांधी अस्पताल का फर्जी आई कार्ड और 68 हजार रूपये बरामद किए हैं.
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