Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. दरअसल उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर से ब्लू टिक हटने को लेकर अदालत में एक याचिका दायर की थी. इस मामले को लेकर अदालत ने कहा कि एक महीने पहले ही आदेश सुनाया गया उसके बाद भी याचिका दायर कर दी गई जिसका कोई औचित्य नहीं था.


ये है पूरा मामला


दरअसल मार्च के महीने में एम नागेश्वर राव के ट्विटर एकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया गया था. इसकी बहाली की मांग को लेकर उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. उसके बाद 7 अप्रैल को अदालत ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था और राव से कहा कि पहले अपनी शिकायत ट्विटर से करें. राव ने ट्विटर से संपर्क किया लेकिन फिर भी उनका ब्लू टिक वापस नहीं आया तो उन्होंने फिर अदालत में अर्जी डाल दी. इस अर्जी पर अदालत ने राव को फटकार लगाते हुए कहा कि राव के पास खाली समय बहुत है. पहले ही निपटारे के बाद भी रिट याचिका डालने का कोई औचित्य नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रकार याचिका को 10 हजार रुपये की कीमत के साथ खारिज किया जाता है.


कोर्ट में राव के वकील ने रखी अपनी दलील


राव के वकील ने अदालत में दलीलत देते हुए कहा कि उनका ट्विटर के साथ आखिरी बार संचार 18 अप्रैल को हुआ था और उनका सत्यापन अभी तक बहाल नहीं हुआ. राव के वकील ने अदालत से मामले को उसी उसी मुद्दे से निपटने वाले मामलों के एक बैच के साथ सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. हालांकि अदालत ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. इस बाद उन्होंने रिट याचिका दायर की और अदालत में कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई मेल लिखे लेकिन जैसा कि अपेक्षित था उनके ट्विटर एकाउंट का ब्लू टिक वापस नहीं आया


कौन हैं मन्नम नागेश्वर राव?


एम नागेश्व राव ओडिशा कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी अगस्त 2020 में रिटायर हो चुके हैं. 7 अप्रैल 2016 को राव को 5 साल की अवधि के लिए प्रमुख जांच एजेंसी के ज्वाइंट डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया था. इससे पहले वो ओडिशा पुलिस के एडिशनल डायरेक्टर जनरल थे.


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