दिल्ली के कोरोना हालातों और इसकी वजह से सामने आ रही दिक्कतों को लेकर बुधवार को भी दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रही. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक बार फिर कोर्ट को बताया गया कि कालाबाजारी और जमाखोरी करने वाले कानून की कमी का फायदा उठाकर अदालत से जमानत ले रहे हैं, जिस पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि इस कमी को जल्द से जल्द दूर किया जाए. कोर्ट ने इसके साथ ही अस्पतालों की तरफ से ज्यादा पैसे वसूले जाने की शिकायत सामने आने के बाद दिल्ली सरकार से कहा कि वह अस्पतालों के साथ बैठक कर यह सुनिश्चित करें कि इस तरीके की घटनाएं सामने ना आएं. 


दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि निचली अदालत में जमाखोरी और कालाबाजारी को लेकर पकड़े गए आरोपियों की तरफ से दलील देते हुए यह कहा जा रहा है कि उन्होंने कुछ भी गुनाह नहीं किया. क्योंकि उन्होंने कानूनी तरीके से ही ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए थे. उस पर टैक्स भरा था और बिल के साथ ही उसको बेच रहे थे तो फिर यह अपराध कैसे हुआ. हाई कोर्ट से कहा गया कि ऐसे तो सभी आरोपी छूट जाएंगे. क्योंकि उनका कहना है कि यह अपराध की श्रेणी में आता ही नहीं है. सुनवाई के दौरान एक वकील ने कहा कि कोर्ट के 2 मई के आदेश के मुताबिक तो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत आता है. 


दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर आदेश देते हुए कहा कि क्योंकि सरकार ने इस तरीके के उपकरणों को लेकर कोई अधिकतम कीमत नहीं तय की है. लिहाजा आरोपी इसका फायदा उठाते हुए उपकरणों को औने पौने दामों पर बेच रहे हैं. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि इस पर उनका क्या रुख है यह कोर्ट को कल तक बताएं. कोर्ट ने कहा कि पिछले साल ही इस तरह के उपकरणों को लेकर अधिकतम कीमत तय करने की बात की गई थी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा कि अब वक्त आ चुका है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर समेत तमाम ऐसे उपकरणों को बेचने के अधिकतम कीमत तय की जाए जिससे कि लोग इस खामी का फायदा ना उठा सके. कोर्ट ने कहा कि अब हर हाल में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर समेत अन्य उपकरणों को बेचने की अधिकतम कीमत तय होनी चाहिए जिससे की जमाखोरी और कालाबाजारी पर लगाम लग सके. 


दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील ने कोर्ट बताया कि उनके सामने एक मामला आया है, जहां पर एक मरीज की कोरोना की वजह से अस्पताल में मौत हो गई. लेकिन अस्पताल में शव देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि पहले एक लाख रुपये के बिल का भुगतान किया जाए. इसी दौरान कोर्ट को बताया गया कि अस्पताल दिल्ली सरकार द्वारा तय की गई अधिकतम कीमत से ज्यादा पैसा अलग-अलग नामों पर वसूल रहे हैं.


यह जानकारी सामने आने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वह अस्पतालों की तरफ से वसूले जा रहे पैसों को लेकर भी निगरानी करें. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि सेक्रेट्री हेल्थ और अस्पताल एसोसिएशन के बीच बैठक की जाए और चर्चा की जाए कि अस्पतालों के द्वारा एक दिन में अधिकतम कितने रुपए वसूले जा सकते हैं. क्योंकि कोर्ट की जानकारी में आ रहा है कि अस्पताल 18000 रुपये के कैप होने के बावजूद उसके ऊपर भी हजारों रुपए दिन के वसूलते हैं.  


दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार और पुलिस से उन सभी लोगों के बारे में जानकारी मांगी है जिनके खिलाफ जमाखोरी व कालाबाजारी का मामला दर्ज हुआ है. कोर्ट ने कहा है कि इन सभी आरोपियों को नोटिस भेजा जाए और कोर्ट के सामने हाजिर होने के लिए कहा जाए. 


दिल्ली द्वारका में बने इंदिरा गांधी अस्पताल को लेकर दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया की अभी इस अस्पताल की बिल्डिंग पूरी नहीं हुई है लेकिन लोगों की जरूरतों को देखते हुए यहां पर सुविधा शुरू की गई है. यहां पर माइल्ड और मॉडरेट लक्षण वाले मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि आज की तारीख में हम इसमें कुछ लोगों की तुलना में काफी बेहतर स्थिति में है. आज एप की जानकारी के मुताबिक 4493 कोविड बेड खाली हैं. इनमें 3277 ऑक्सीजन बेड और 88 आईसीयू बेड है. 


दिल्ली सरकार के वकीलों की दलील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हम समझ नहीं पा रहे हैं कि जब आपके पास पहले से ही काफी सुविधा मौजूद है तो आखिर आप टेंपरेरी बेड का इस्तेमाल ही क्यों करना चाह रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि आखिर आप क्यों नहीं जो आधे बने हुए अस्पताल में हैं उनको जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश करते हैं. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अभी एक-दो हफ्ते में यह काम भी पूरा हो जाएगा. जिस पर कोर्ट ने कहा कि तस्वीरें ( इंदिरा गांधी अस्पताल द्वारका ) देखकर लगता है कि बिल्डिंग बनकर तैयार है. बस वहां पर बेड और अन्य सुविधाओं का इंतजाम ही करना है. कोर्ट ने कहा कि पिछले 15 दिनों में आपने कुछ खास नहीं किया जब मामला कोर्ट में आया तो आपने कहा कि 250 बेड शुरू कर रहे हैं. 


कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह बताएं कि इंदिरा गांधी अस्पताल द्वारका का निर्माण कार्य कब तक पूरा हो जाएगा और कभी अस्पताल पूरी तरह से शुरू हो जाएगा. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि फिलहाल इमारत देखकर लगता है कि लगभग लगभग काम पूरा है लेकिन अब तक शुरू नहीं हो पाया उसकी वजह राज्य सरकार की शिथिलता है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा ऐसा नहीं है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि क्या यह अस्पताल मार्च 2020 में बनकर तैयार नहीं हो जाना चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि अगर कोरोना की बात ना भी जाए फिर भी अगर किसी अस्पताल को बनाने में कितना खर्च हुआ है तो आखिर उसको शुरू क्यों नहीं किया जा रहा यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण सवाल है और रही बात कोरोना की तो अब जबकि तीसरी लहर की बात हो रही है. जरूरत यह है कि ऐसे सभी अस्पतालों को जल्द से जल्द शुरू किया जाए. 


इसी दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि सवाल केंद्र सरकार से भी पूछे जाने चाहिए. क्योंकि उन्होंने दिल्ली को जरूरत के मुताबिक बेड नहीं दिए. जिस पर कोर्ट ने कहा कि हम यहां पर दिल्ली सरकार के अधीन बन रहे अस्पताल के बारे में बात कर रहे हैं जिस पर इतना पैसा भी खर्च हुआ और तय वक्त पर शुरू नहीं हुआ और आप इस सवाल को दूसरी तरफ मोड़ने की कोशिश में लगे हैं. 


दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है कि वह बताए कि इंदिरा गांधी अस्पताल को कब तक पूरी तरह से शुरू कर दिया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने हमको जानकारी दी है कि फिलहाल 250 बेड शुरू किये गये हैं और यहां पर माइल्ड और मॉडरेट लक्षण वाले मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. इस अस्पताल में फिलहाल फौरी तौर पर कुछ वेंटिलेटर बेड भी दिए गए हैं और 25 आईसीयू भी उपलब्ध करवाए गए हैं. साथ ही 70 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और डॉक्टरों की टीम भी मौजूद है.


कोर्ट ने कहा कि हमको भूलना नहीं होगा कि अभी कुछ दिनों पहले दिल्ली में क्या हालात थे. अब भले ही थोड़े बेहतर हुए हों लेकिन कुछ दिनों पहले ही लोग अस्पतालों में बेड की तलाश में भटक रहे थे, उनको ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी और लोग परेशान थे. इस दौरान कई लोगों की अस्पताल में बेड नहीं मिलने की वजह से मौत तक हो गई. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि इस पर 10 दिनों के भीतर विस्तृत जवाब दें और हम उम्मीद करते हैं कि जो जवाब दिया जाएगा उस पर अमल करते हुए जल्द से जल्द काम पूरा किया जाएगा. 


दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट को दिल्ली में लगाए जा रहे हो ऑक्सिजन प्लांट के बारे मे जानकारी दी. कोर्ट ने कहा कि जल्द से जल्द इनको शुरू किया जाए. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा दिल्ली के लोगों के लिए कितने अस्पताल दिए जाने थे वह अब तक नहीं दिए गए जिसके चलते दिक्कत पेश आ रही थी. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह हाल तब है जब केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों कहते हैं कि दिल्ली उनकी है. 


दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि जो मदद आ रही है वह भी केंद्र सरकार के अस्पतालों में चीजें भेजी जा रही है और दिल्ली को नहीं दी जा रही जिस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर मदद आ रही है तो वह दिल्ली सरकार को सीधे दे दी जाए और वह अपने अस्पतालों में जरूरत के हिसाब से पहुंचाए. केंद्र के वकील ने कहा कि देश के दूसरे राज्य ये शिकायत कर रहे हैं कि कोरोना काल में जो मदद पहुंच रही है उसका एक बड़ा हिस्सा दिल्ली के पास जा रहा है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र ने जो ऑक्सीजन प्लांट लगाए हैं वो ऐसे अस्पतालों में हैं जहां पर बहुत बड़ी संख्या में कोरोना मरीज़ नहीं है. 


कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह देते हुए कहा कि जरूरत की दवाइयों के और ज्यादा उत्पादन के लिए नए लोगों को भी लाइसेंस किया जाए, जिससे कि देश की जरूरत के हिसाब से दवाइयों का उत्पादन बढ़ाया जा सके. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के सुझाव के मुताबिक अगर कोई भी कंपनी लाइसेंस के लिए आती है तो हम उस पर विचार करेंगे.