नई दिल्ली: 16 जनवरी से देश भर में विश्व का सबसे बड़ा इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम शुरू होगा. राजधानी दिल्ली में इसके लिये 81 साइट्स को चिन्हित कर लिया गया है. इस बीच वैक्सीनेशन ड्राइव को लेकर दिल्ली सरकार ने एक अहम फैसला किया है.


जिन 81 वैक्सीनेशन साइट पर कोरोना की वैक्सीन दी जानी हैं उनमें से 75 वैक्सीनेशन साइट पर सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कोविशील्ड लगाई जाएगी, जबकि 6 वैक्सीनेशन साइट पर भारत बायोटेक की को-वैक्सीन लगाई जाएगी. गौरतलब है कि जिन 75 साइट्स पर कोविशील्ड लगाई जायेगी यह सभी दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले अस्पताल हैं या प्राइवेट अस्पताल हैं.


दिल्ली सरकार के अस्पताल कोविशील्ड लगाएंगे


जबकि जिन 6 साइट्स पर हेल्थकेयर वर्कर्स को को-वैक्सीन का टीका लगाया जायेगा यर यह सभी केंद्र सरकार के अस्पताल हैं. यानी दिल्ली सरकार के अस्पताल और प्राइवेट अस्पताल सिर्फ कोविशील्ड लगाएंगे, जबकि केंद्र सरकार के अस्पताल सिर्फ़ को-वैक्सीन लगाएंगे.


दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के मुताबिक ऐसा स्पष्ट वर्गीकरण इसलिए किया गया है ताकि दोनों वैक्सीन आपस मे मिक्स-अप ना हो. लाभार्थी को पहली डोज़ जिस वैक्सीन की लगी है दूसरी डोज भी उसी वैक्सीन की लगे. जिस टीकाकरण केंद्र पर कोविशील्ड लगेगी उस पर सिर्फ कोविशील्ड लगेगी और जिस पर को-वैक्सीन लगेगी उस पर सिर्फ़ को-वैक्सीन ही लगेगी.


एक साइट पर एक दिन में 100 लोगों को लगाई जाएगी वैक्सीन


दिल्ली में वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तैयारियों पर बात करते हुए सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए 81 साइट चिन्हित किये गए हैं जोकि ज्यादातर अस्पताल ही हैं. एक साइट पर एक दिन में 100 लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी, और हफ़्ते में 4 दिन सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शनिवार कोरोना का टीका लगाया जायेगा.


कोविशील्ड और को-वैक्सीन के आधार पर असप्तालों में विभाजन के सवाल पर सत्येंद्र जैन ने कहा कि दरअसल एक सेंटर में एक तरह की वैक्सीन ही लगाई जाएगी, डिवीजन से फर्क नही पड़ता है. वैक्सीन को मिक्स-अप नही कर सकते हैं क्योंकि किसी एक लाभार्थी जो वैक्सीन लगाई जाएगी, वही वैक्सीन एक महीने बाद भी लगेगी, तो उन्हें मिक्स-अप नही किया जा सकता है. इसलिये एक सेंटर को एक ही तरह की वैक्सीन के लिए ही चिन्हित किया है.


क्वांटिटी को ध्यान में रखकर डिवाइड किया गया है- सत्येंद्र जैन


सत्येंद्र जैन ने कहा कि दरअसल, कोविशील्ड और को-वैक्सीन में एक वैक्सीन की मात्रा कम है और दूसरी की ज्यादा है. इसलिए वैक्सीन की क्वांटिटी को ध्यान में रखकर डिवाइड किया गया है. एक सेंटर में 2 वैक्सीन मिक्स नही हो सकती हैं, वरना ध्यान कैसे रखेंगे कि किस लाभार्थी को कौनसी वैक्सीन लगाई गयी. इसलिए जिस सेंटर में कोविशील्ड या को-वैक्सीन लगाई गयी है वहां दोबारा वही वैक्सीन लगेगी.


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