नई दिल्ली: नॉर्थ वेस्ट पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट के एग्जीक्यूटिव बनकर ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गैंग के 5 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. जांच में पुलिस को पता चला कि शॉपिंग की बड़ी बड़ी वेबसाइट्स जैसे (अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और शॉपक्लूज डॉट कॉम) के नाम पर ठगी की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा था. दरअसल पुलिस को एक शिकायत मिली, जिसमें शिकायतकर्ता ने बताया कि उसे एक फोन आया. फ़ोन करने वाले ने बताया कि पिछली ऑनलाइन शॉपिंग के आधार पर आपको एक लकी ग्राहक के रूप में चुना गया है और गिफ्ट में कार मिली है.


इतना ही नहीं फ़ोन करने वाले शख्स ने ये भी बताया कि या तो आप कार ले लें या आप कार के बदले कैश भी ले सकते हैं. शिकायतकर्ता कैश लेने के लिए राजी हो गया. इसके बाद उसे कहा गया कि आपको इसके लिए प्रोसेसिंग फीस के रूप में 6 हज़ार रूपये देने होंगे. शिकायतकर्ता ने उसके दिए गए अकाउंट में 6 हज़ार रुपये जमा करवा दिए, बाद में उसे पता चला कि उसके साथ ठगी हो गई है.


पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की. सबसे पहले उस अकाउंट के बारे में जानकारी हासिल की गई, जिसमें पैसा जमा करवाया गया था. इसके अलावा पुलिस ने कई फ़ोन नम्बर की कॉल डिटेल्स भी निकाली. पुलिस को पता चला कि जिस अकाउंट में पैसा जमा किया गया है वो प्राची अरोड़ा नाम की एक महिला का अकाउंट है. पुलिस ने अकाउंट को खंगालना शुरू किया और इसी दौरान पुलिस को पता चला कि केशव पुरम इलाके से एक फर्जी कॉल सेंटर चलाया जा रहा है और लोगों के साथ ठगी का सारा पैसा इसी अकाउंट में जमा किया जा रहा है. पुलिस ने रेड करके फर्जी कॉल सेंटर से 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. जिसमें प्राची अरोड़ा भी शामिल थीं. जांच में पुलिस को पता कि ये गैंग एक महीने में 27 लाख रुपये की ठगी कर चुका है.


पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वो जस्ट डायल के जरिए जो डेटा प्रोवाइडर से उन लोगों के डेटा लेते थे जो ऑनलाइन वेब साइट के जरिए खरीदारी करते थे और जिन्होंने हाल ही में शॉपिंग की होती थी. इसके बाद गैंग के सदस्य उन लोगों को फ़ोन करते थे. फोन पर किसी गिफ्ट का लालच दिया जाता था जैसे कार, टीवी, फ्रीज, लैपटॉप इत्यादि. इसके बाद गैंग के लोग ये भी कहते थे कि इन सब आइटम के बदले कैश भी लिया जा सकता है, जब सामने वाला कैश के लिए राजी हो जाता था तो उससे प्रोसेसिंग फीस के नाम पर पैसे अकाउंट में डलवाए जाते थे. इसके बाद ये लोग उस शख्स का फ़ोन उठाना बंद कर देते थे.


जांच में पुलिस को पता चला है कि ये गैंग एक फ़ोन नम्बर और एक बैंक अकाउंट का इस्तेमाल सिर्फ 15 दिन के लिए करते थे. उसके बाद उन्हें बंद कर दिया जाता था. फोन नम्बर और बैंक अकाउंट फर्जी नाम के जरिए लिए जाते थे. पुलिस ने इनके पास से 10 सिम कार्ड, 8 एटीएम और वो डेटा बरामद किया है, जिसके जरिए ये कॉल करते थे.


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