नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्कूल के करीब 9000 शिक्षकों और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के 4200 शिक्षकों को पांच और तीन महीने से वेतन नहीं मिला है. लिहाजा शिक्षक गंभीर तंगी से गुजर रहे हैं. हताश शिक्षकों ने अनेक विफल प्रयासों के बाद यह फैसला लिया है कि उत्तरी नगर निगम के 3500 और पूर्वी नगर निगम के करीब 500 शिक्षक टीकाकरण अभियान में अपना योगदान नहीं देंगे, साथ ही खुद भी टीका नहीं लगवाएंगे.


16 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में कोरोना वैक्सीनेशन के महाभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसको लेकर तैयारियां तेज हैं. नगर निगम शिक्षक संघ की उपप्रधान विभा सिंह ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा कि हमारा गुस्सा कोरोना वैक्सीन पर नहीं है बल्कि सरकार की उस नीति पर है जो हमसे काम तो लगातार करवा रही है लेकिन वेतन नहीं दे रही है.


'महीनों से नहीं जला चूल्हा'


उन्होंने कहा, 'हमारे घर में महीनों से चूल्हा नहीं जल रहा. टीचर्स को 6 महीने से वेतन नहीं मिला है. कौन सोचेगा हमारे लिए? इसलिए हमने यह फैसला लिया है कि जब तक वेतन नहीं देते तब तक न वैक्सीन लेंगे और न लगवाने में कोई भी सहायता करेंगे. सभी टीचर्स के अंदर की यही आवाज है. हम सरकार के जरिए दिए गए सभी काम कोरोना काल में करते आए हैं, चाहे वो राशन बांटना हुआ या डोर टू डोर सर्वे हुआ. हमने कभी मना नहीं किया लेकिन सरकार हमारे लिए एक पल के लिए भी विचार नहीं कर रही है.'


वेतन देने की अपील


वैक्सीन से होने वाले फायदों पर विरोध जताते हुए सिंह का कहना है, 'हम लोग भूखे पेट हैं. दवाई खाएंगे तो हमारे ऊपर उसका रिएक्शन भी हो सकता है. एक-एक हफ्ते हम खाना नहीं खा पाते, इसलिए अपील कर रहे हैं कि जल्द से जल्द वेतन दिया जाए.' ईडीएमसी, एमसीडी में पढ़ाने वाले शिक्षक प्रवीण कुमार कहते हैं, 'मै दिव्यांग हूं लेकिन उसके बावजूद कोरोना काल में मेरी ड्यूटी लगी थी. डोर-टू-डोर लोगों के घर जाकर तापमान चेक करता था. बच्चों को क्लासेज भी देता था. इतना काम करने के बाद वेतन भी न मिले तो बुरा लगता है. अब पानी सर से ऊपर निकल गया है.'


बता दें कि कोविड-19 से निपटने के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत 16 जनवरी से हो रही है. भारत में कई चरणों में वैक्सीनेशन का काम शुरू होगा. वहीं देश के अलग-अलग राज्यों में एक साथ वैक्सीनेशन की शुरुआत होगी. भारत में कोरोना वैक्सीन के रूप में कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मंजूरी दी जा चुकी है.


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