Defence News: भारतीय नौसेना को नई तकनीक से लैस एक और स्वदेशी युद्धपोत (Indian Warship) आइएनएस दूनागिरी (INS Dunagiri) मिलने जा रहा है. शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकता (Kolkata) में भारतीय नौसेना के शिवालिक-क्लास फ्रीगेट, आईएनएस दूनागिरी को हुगली नदी में लॉन्च करेंगे. उत्तराखंड की एक चोटी के नाम पर रखे गए इस युद्धपोत का निर्माण कोलकता स्थित गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स यानि जीआरएसई शिपयार्ड(GRSE Shipyard) कर रहा है. 


नौसेना के लिए तैयार किए जा रहे हैं सात युद्धपोत
भारतीय नौसेना (Indian Navy)के मुताबिक, आईएनएस दूनागिरी प्रोजेक्ट-17ए का चौथा युद्धपोत है, जिसे लॉन्च किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत नौसेना के लिए कुल सात (07) शिवालिक क्लास फ्रीगेट (Shivalik-Class Fregate) बनाए जाने हैं. इनमें से चार मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड (Mazagon Dockyard) में तैयार किए जा रहे हैं और बाकी तीन जीआरएसई में. मझगांव डॉकयार्ड पहले ही इस क्लास के दो युद्धपोत समंदर में लॉन्च कर चुका है. पिछले महीने ही इस क्लास का तीसरा युद्धपोत, उदयगिरी (INS Udaygiri) लॉन्च किया गया था. जीआरएसई का ये दूसरा युद्धपोत है. ये सभी सातों युद्धपोत देश की अलग-अलग पर्वत-श्रृंखला के नाम पर रखे गए हैं. 


जानिए- दूनागिरी युद्धपोत की खासियत
नौसेना के मुताबिक, बाकी शिवालिक क्लास युद्धपोत की तरह ही दूनागिरी भी रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की एक अहम पहचान है. इस युद्धपोत में 75 प्रतिशत हथियार, उपकरण और सिस्टम स्वदेशी हैं. इन सभी युद्धपोतों का डिजाइन नौसेना के डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने तैयार किया है. नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, दूनागिरी सहित प्रोजेक्ट 17ए के सभी फ्रीगेट शिवालिक क्लास (प्रोजेक्ट-17) के युद्धपोतों का फॉलो-ऑन हैं और सभी में पहले वालों से बेहतर स्टेल्थ फीचर्स, एडवांस वैपन, सेंसर्स और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम हैं. 


कैसा रखा जाता है जंगी जहाज का नाम
शुक्रवार को जो दूनागिरी युद्धपोत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लॉन्च करने जा रहे हैं, ये नौसेना के ही पुराने दूनागिरी एएसडब्लू फ्रीगेट का अवतार है. पुराना फ्रीगेट 33 साल की सेवाएं पूरा करने के बाद वर्ष 2010 में रिटायर हो गया था. उसी के नाम पर नए फ्रीगेट का नाम रखा गया है. दरअसल, भारतीय नौसेना की ये परंपरा है कि रिटायर (डि-कमीशन) युद्धपोत के नाम पर ही नए जंगी जहाज का नाम रखा जाता है. 


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