पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में रक्षा मंत्रालय ने घरेलू फर्मों से खरीदारी पर 64 प्रतिशत आधुनिकीकरण कोष खर्च करने के अपने लक्ष्य को पार कर लिया. रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि उसने वित्त वर्ष 2021-22 में घरेलू उद्योग के लिए पूंजी अधिग्रहण बजट का 64 प्रतिशत अलग रखा था. सरकार ने कहा कि उसने घरेलू स्रोतों से खरीद करने के लिए पूंजी अधिग्रहण बजट का 65.50 प्रतिशत उपयोग किया है.


रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ''मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में घरेलू उद्योग के लिए पूंजी अधिग्रहण बजट का 64 प्रतिशत निर्धारित किया था. 2021-22 के अंत में, मंत्रालय इस लक्ष्य को प्राप्त करने में ''सक्षम'' रहा है और इसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए भारतीय उद्योग के माध्यम से स्वदेशी खरीद पर पूंजी अधिग्रहण बजट का 65.50 प्रतिशत उपयोग किया है.''


मंत्रालय ने आगे कहा कि वह 2021-22 में रक्षा सेवाओं के बजट का 99.50 प्रतिशत उपयोग करने में सक्षम है. उसने कहा, ''मार्च 2022 की प्रारंभिक व्यय रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय वित्त वर्ष 2021-22 में रक्षा सेवाओं के बजट का 99.50 प्रतिशत उपयोग करने में सक्षम है.'' बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं. 


मई 2020 में सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्वचालित मार्ग के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने की घोषणा की थी. गौरतलब है कि भारत विश्व स्तर पर हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है. एक अनुमान के अनुसार, भारतीय सशस्त्र बलों के लिए लगभग 130 बिलियन अमरीकी डॉलर (अगले पांच वर्षों में पूंजी खरीद में) खर्च करने का अनुमान है.


सरकार अब आयातित सैन्य प्लेटफॉर्म पर निर्भरता कम करना चाहती है. सरकार ने घरेलू रक्षा निर्माण का समर्थन करने का फैसला किया है.


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