मुंबई: दिवाली में चीनी आकाश कंदील का बहिष्कार करने के लिए पालघर की आदिवासी महिलाएं बांस की कंदील बना रही हैं. केशव सृष्टि की 300 से अधिक महिलाएं इस कार्य में लगी हैं. ये काम Make in India और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किया जा रहा है.


आदिवासी महिलाएं कर रही हैं काम
दिवाली का त्योहार आने वाला है, ऐसे में बाजारों में चीनी आकाश कंदील की भरमार होती है. लेकिन, इस साल बाजारों में चीनी आकाश कंदील को मात देने के लिए पालघर की आदिवासी महिलाएं बांस की लकड़ियों से कंदील बना रही हैं. मुंबई से सटे पालघर से 30 से 35 किलोमीटर अंदर बसे विक्रम गढ़ सहित 9 तालुका में ये काम बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. जिसमें, 300 से अधिक महिलाएं बांस को आकाश कंदील का आकार देने का कार्य कर रही हैं.


विदेशों में भी है मांग
केशव सृष्टि के संचालक संतोष गायकवाड़ लगातार 300 महिलाओं का नेतृत्व कर रहे हैं. लगभग 30 दिन में सभी महिलाएं 4 हजार से अधिक आकाश कंदील बना चुकी हैं और दीपावली आने तक eco friendly कंदील बनाने के कार्य में लगी रहेंगी ताकि इस साल बाजारों में रौनक भारतीय सामानों की हो न कि चीनी सामानों की. संतोष गायकवाड़ का कहना है कि महिलाओं के जरिए बनाए गए इन कंदीलों को अच्छा रिस्पॉस मिल रहा है. देश ही नही बल्कि विदेशों में भी इसकी मांग है.



देश में बने हुए आकाश कंदील खरीदें लोग
संतोष का कहना है कि Make In India के तहत हम ये eco friendly आकाश कंदील बनाने का कार्य कर रहे हैं. एक कंदील बनाने के लिए 250 रुपये खर्च होते हैं. 400 रुपये की किमत पर इन्हें बाजारों में बेच रहे हैं और जो भी पैसे मिलता है वो इन महिलाओं को सौंप दिया जाता है. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश केवल इतनी है कि इस साल दिवाली पर लोग देश में बने हुए आकाश कंदील खरीदें ताकि आत्मनिर्भर भारत के तहत हमारी महिलाएं जो इस कार्य में लगी हैं उनके घर की दिवाली भी अच्छी हो पाए.



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