Arunachal-Assam Border Dispute: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोमवार को कहा कि असम के साथ राज्य की दशकों पुरानी सीमा समस्या का समाधान नवंबर के अंत तक होने की उम्मीद है. पेमा खांडू ने दिन के दौरान असम के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें सीमा सुरक्षा एवं विकास मंत्री अतुल बोरा, कई अन्य मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी बैठक में शामिल रहे.


पेमा खांडू ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि इस बैठक को सीमा मुद्दे को हल करने के लिए पूर्वोत्तर के दो पड़ोसियों के बीच विचार-विमर्श की श्रृंखला में अंतिम बैठक से ठीक पहले की बैठक कहा जा सकता है. खांडू ने बताया, “एक अंतिम समझौते एवं स्थायी समाधान के लिए मेरे और असम समकक्ष हिमन्त बिश्व शर्मा बीच एक और बैठक होनी है. हम दोनों नवंबर के अंत तक अपने सभी मतभेदों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं."


राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों ने किया 12 समितियों का गठन


सीएम खांडू ने बताया कि नामसाईं घोषणा के बाद असम और अरुणाचल प्रदेश दोनों ही राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों के अध्यक्षता में 12 समितियों का गठन किया गया था और इन समितियों ने मिलकर विवादित क्षेत्रों का दौरा किया और अपनी अपनी राज्य सरकारों को इन समितियों ने रिपोर्ट सौंपी. राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में सकारात्मक प्रभाव दिखा इसलिए दोनों राज्यों की समितियों में इस मुद्दे का स्थाई समाधान खोजने के लिए साथ मिलकर काम किया है. इसलिए आशा की जा सकती है कि दशकों पुराना सीमा विवाद नवंबर के अंत तक सुलझ जाएगा.


क्या है असम अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद?


अरुणाचल प्रदेश की सरकार का दावा है कि असम से अलग होने के बाद असम को पारंपरिक रूप से अरुणाचल प्रदेश के निवासियों की कुछ भूमि असम को दे दी गई थी. दोनों राज्यों के बीच 804 किलोमीटर लंबी साझा सीमा है. दोनों ही यह दावा करते हैं कि एक राज्य के नागरिक दूसरे के क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहे थे जिसके चलते यहां हिंसा भी हुई थी और 1989 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जा पहुंचा था.


यह भी पढ़े: गुजरात विधानसभा चुनाव: AAP ने जारी की उम्मीदवारों की 8वीं लिस्ट, जानिए किसे कहां से टिकट मिला