नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले में नौ दिन पहले आई तबाही से अब राजधानी दिल्ली पर बुरा असर पड़ रहा है. गंग नहर में हद से ज़्यादा मलवा, गाद, कीचड़,लकड़ी की राख, पौधों के टुकड़े आदि आ रहे हैं, जिससे सप्लाई प्रभावित होने का अंदेशा है, जिसके बाद अब दिल्ली में पानी की किल्लत हो सकती है.

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पानी का मैलापन कम करने के लिए कोशिश जारी- दिल्ली जल बोर्ड

दिल्ली जल बोर्ड के सोनिया विहार और भागीरथी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट अपनी क्षमता से नीचे काम कर रहे हैं, जिसके चलते दक्षिण दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ हिस्सों में पानी की सप्लाई प्रभावित हो सकती है. दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने बताया है कि पर्याप्त संख्या में पानी के टैंकर आदि तैनात किए जा रहे हैं और पानी का मैलापन कम करने के लिए भी कोशिश जारी हैं.

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Nephelometric Turbidity Units से मापा जाता है पानी की गंदगी का पैमाना

abp न्यूज़ से बात करते हुए राघव ने बताया, "उत्तराखंड में जो आपदा आई उससे गंगा नदी का पानी जो अपर कैनाल मुरादनगर से होते हुए आता है, उसमें गंदगी पाई गई. जिस तरह से गंदगी आई उसके चलते हमारे 2 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट सोनिया विहार और भागीरथ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में उत्पादन बाधित रहा. पानी में इस गंदगी का पैमाना NTU (Nephelometric Turbidity Units) में मापा जाता है.''

उन्होंने बताया, ''फरवरी के महीने में अमूमन यह 100 NTU के आस पास होता है. लेकिन इस आपदा के चलते पानी में कीचड़, मलबा, लकड़ी, पौधे आदि पाए गए, जिसके चलते गंदगी 100 NTU से बढ़कर 8000 NTU तक पहुंच गई. पूरे दिल्ली जल बोर्ड ने मेहनत करके 8000 NTU के गंदगी के स्तर को 24 से 36 घंटे में 960 NTU पर ले आए और आने वाले समय में इसे घटाकर 100 NTU पर ले आएंगे.''

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