नई दिल्लीः नेशनल हाइवे पर टोल्स टैक्स भुगतान के लिए आज से फास्टटैग अनिवार्य कर दिया गया है. जिस गाड़ी पर फास्टैग नहीं लगा हुआ है उससे भारी जुर्माना वसूला जा रहा है. जो लोग बिना फास्टैग के गुजर रहे हैं, उनसे दोगुना टोल टैक्स लिया जा रहा है. वहीं कई टोल प्लाजा पर फास्टैग का कंप्यूटरीकृत स्टीकर भी बेचा जा रहा है. टोल बूथ पर लगे सेंसर उन गाड़ियों को देखते ही बैरीकेड गिरा देते हैं, जिनपर फास्टैग नहीं लगा हुआ है. ये बैरीकेड तभी खुलता है जब वहां बैठा कर्मचारी मौजूद डिवाइस में ये बात फीड नहीं करता कि इस वाहन से दोगुना टोल ले लिया गया है. हालांकि टू व्हीलर वाहनों को फास्टैग से छूट दी गई है.

सरकार की कोशिस है कि 15 फरवरी से 100 फीसदी टोल फास्टैग की मदद से ही कलेक्ट किया जा सके. इसके लिए सरकार ने पूरी तरह से कमर कस लिए हैं. फिलहाल नेशनल हाईवे से जितने भी टोल टैक्स आते हैं, उनमें 80 फीसद ही फास्टैग से आते हैं.

क्या है फास्टैग?

फास्टैग एक प्रकार का स्टिकर होता है. यह वाहन की विंडस्क्रीन पर लगा हुआ होता है. फास्टैग रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन या RFID तकनीक पर काम करता है. इस तकनीक के जरिए टोल प्लाजा पर लगे कैमरे स्टिकर के बार-कोड को रीड कर लेता है और टोल फीस अपने आप फास्टैग के वॉलेट से कट जाती है.

फास्टैग के इस्तेमाल से मिलती है सुविधा

फास्टैग के इस्तेमाल से वाहन चालक को टोल टैक्स के भुगतान के लिए रूकना नहीं पड़ता है. इस कारण जाम की समस्या खत्म हो सकती है. टोल प्लाजा पर लगने वाले समय में कमी और यात्रा को सुगम बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. फास्टैग पूरी तरह से लागू होने के बाद कैश पेमेंट से लोगों को छुटकारा मिल जाएगा, साथ ही ईंधन और समय की बचत भी होगी.

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने पहले एक जनवरी तक टोल प्लाजा पर फास्टैग अनिवार्य करने का आदेश दिया था. बाद में तारीख को 15 जनवरी तक के लिए बढ़ा दी गई थी. इस बार एनएचएआइ के अधिकारियों ने साफ कर दिया कि अब तारीख नहीं बढ़ाई जाएगी. सभी को इस बार फास्टैग खरीदना ही होगा.

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