नई दिल्ली: वायुसेना के लिए 83 अतिरिक्त (और एडवांस) स्वदेशी फाइटर‌ जेट्स एलसीए तेजस (एलसीए-मार्क 1ए) का सौदा जल्द होने वाला है. जानकारी के मुताबिक, प्र‌स्ताव को पीएम की अध्यक्षता वाली सीसीएस के पास भेज दिया गया है. ऐसे में बहुत संभव है कि एयरो इंडिया शो (3-5 फरवरी) से पहले ही यानी इसी महीने एचएएल से सौदा हो जाएगा. पिछले साल मार्च में रक्षा मंत्रालय ने करीब 38 हजार करोड़ की इस डील को मंजूरी दी थी. माना जा रहा है कि सीसीएस से मुहर लगने के बाद एचएएल वर्ष 2022 तक पहले एलसीए एमके वन-ए को वायुसेना को सौंप देगा.


साल 2029 तक सभी 83 विमानों को वायुसेना को सौंपने का टारगेट है. इन 83 विमानों से वायुसेना की कम से कम छह स्कॉवड्रन बन जाएंगी. एक स्कॉवड्रन में 16-18 लड़ाकू विमान होते हैं. बता दें कि ये 83 मार्क वन-ए फाटइर जेट पुराने सौदे वाले मार्क वन से ज्यादा एडवांस यानी घातक और खतरनाक हैं.


पिछले साल मार्च में रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद ने 'मेक इन इंडिया' के तहत 83 अतिरिक्त लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस 'मार्क वन-ए' खरीदने की मंजूरी दी थी. तेजस भारतीय वायुसेना की 'रीढ़ की हड्डी' साबित होंगे. क्योंकि तेजस बनाने वाले सरकारी संस्थान, हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2016 में 40 तेजस विमानों का सौदा किया था. उनमें से कम से कम 18 तेजस विमान भारतीय वायुसेना को मिल चुके हैं और तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस पर 'फ्लाईंग डैगर' स्कॉवड्रन में तैनात हैं.


हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने इस सौदे की कीमत उजागर नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि इस डील की कुल कीमत 38 हजार करोड़ है. यानी एक फाइटर जेट की कीमत करीब करीब साढ़े चार सौ करोड़ है, जो बेहद कम है. आपको बता दें कि भारत ने फ्रांस से जो रफाल लड़ाकू विमान लिए हैं, उसकी कीमत करीब 1600 करोड़ रुपये है. उस कीमत में मिसाइल और दूसरे हथियार शामिल हैं.


आपको बता दें कि पिछले काफी समय से इन 83 तेजस जेट्स का सौदा कीमत के चलते ही अटका हुआ था. वायुसेना सौदे की कीमत कम करने पर अड़ी थी. हालांकि, ये भी साफ नहीं है कि इस सौदे में तेजस के हथियार और मिसाइल भी शामिल हैं. लेकिन वर्ष 2016 में जो 40 तेजस का सौदा हुआ था उसमें हथियार भी शामिल थे.


ये जो 83 मार्क वन-ए फाटइर जेट पुराने सौदे वाले मार्क वन से ज्यादा एडवांस हैं. इनकी खूबियां कुछ इस प्रकार हैं. ये तेजस बीवीआर मिसाइल से लैस होंगे यानी बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल, जो आंखों की नजरों से दूर 40-50 किलोमीटर दूर भी टारगेट को एंगेज यानी मार गिरा सकती है. इन्हें एयर टू एयर रिफ्यूलिंग की तकनीक से लैस किया गया है. ये दोनों तकनीक मार्क-वन तेजस के 'आईओसी' वर्जन में नहीं हैं. यानी शुरूआत के 18 मार्क वन तेजस में नहीं हैं.


एलसीए मार्क वन-ए में ईडब्लू यानी इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर सूट है, इसके जरिए अगर तेजस पर कोई मिसाइल लॉक होती है तो पॉयलट को कॉकपिट में लगे सेंसर से तुरंत पता चल जाएगा. नए तेजस में रडार वॉर्निंग सिस्टम भी होगा यानी दुश्मन के रडार की पकड़ में आते ही पायलट को अलर्ट चला जाएगा.


मार्क वन-ए में खास आइसा रडार लगी होंगी जो तेजस की क्षमताओं को और अधिक बढ़ा देंगी, जिससे दुश्मन की रडार में आसानी से ना आ पाए‌. पिछले कुछ समय से वायुसेना की स्कॉवड्रन लगातार कम होती जा रही हैं. मौजूदा समय में वायुसेना की 30 स्कॉवड्रन हैं, जबकि चीन और पाकिस्तान से टू फ्रंट यानि दो मोर्चों पर निबटने के लिए भारत को कम से कम 42 स्कॉवड्रन की जरूरत है.


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