राज्यसभा में सीपीआई (एम) के सांसद वी. शिवदासन ने पर्यावरण मंत्री से वायु प्रदूषण को लेकर भारत की वैश्विक रैंकिंग की जानकारी मांगी. सवाल में पूछा कि साल 2020 से अब तक के वर्षों में IQAir विश्व वायु गुणवत्ता रैंकिंग, WHO ग्लोबल एयर क्वालिटी डेटाबेस, पर्यावरणीय प्रदर्शन सूचकांक (EPI) और ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज (GBD) के वायु‑प्रदूषण मेट्रिक्स में भारत की वैश्विक रैंकिंग क्या है? इसके अलावा इन सूचकांकों की ओर से प्रदूषण स्तर का आकलन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रमुख पैरामीटर क्या हैं? क्या मंत्रालय ने इन अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों में देश के प्रदर्शन की कोई समीक्षा की है और भविष्य में वैश्विक प्रदूषण मूल्यांकन में देश की स्थिति सुधारने के लिए कौन से कदम उठाए जा रहे है?
WHO के एयरक्वालिटी गाइडलाइंस सिर्फ एक मार्गदर्शक दस्तावेज हैं- सिंह
केंद्र सरकार की ओर से जवाब देते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में कहा कि शहरों के प्रदूषण स्तर की विश्व‑व्यापी रैंकिंग किसी आधिकारिक प्राधिकरण की ओर से नहीं की जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एयर क्वालिटी गाइडलाइंस सिर्फ एक मार्गदर्शक दस्तावेज हैं और ये वायु प्रदूषकों के लिए अनुशंसित मानक हैं, जो देशों को वायु गुणवत्ता प्राप्त करने में मदद करते हैं. हालांकि, देश अपने वायु गुणवत्ता मानक भू‑भौगोलिक, पर्यावरणीय, आधारभूत स्तर, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और राष्ट्रीय परिस्थितियों के आधार पर तैयार करते हैं.
MoEFCC प्रत्येक साल आयोजित करता है स्वच्छ वायु सर्वेक्षण- मंत्री
मंत्री ने कहा, “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण गुणवत्ता की रक्षा के लिए 12 वायु प्रदूषकों के लिए राष्ट्रीय परिवेशीय वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) अधिसूचित किए हैं. इसके अतिरिक्त, MoEFCC प्रत्येक साल स्वच्छ वायु सर्वेक्षण (Swachh Vayu Survekshan) आयोजित करता है, जिसमें NCAP के तहत 130 शहरों को विभिन्न वायु गुणवत्ता सुधार उपायों के कार्यान्वयन के आधार पर क्रमांकित किया जाता है. बेहतर प्रदर्शन करने वाले शहरों को वार्षिक राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस (7 सितंबर, 2025) पर सम्मानित किया जाता है.”
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