नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच एक अच्छी और राहत भरी खबर आई है. जल्द एक ऐसी दवा का ट्रायल भारत में होगा जिसे कोरोना संक्रमित मर्जी के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और ठीक होने संभावना भी काफी बढ़ जाएगी. भारत की प्रतिष्ठित काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने एक कंपनी के साथ मिलकर ऐसी टैबलेट तैयार की है जिसका मेडिकल ट्रायल करने की अनुमति ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मिल चुकी है.


सीएसआईआर ने कोरोना संक्रमित मरीजों में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए एक दवा तैयार की है. इस दवा से संक्रमित मरीज के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और ठीक होने की संभावनाएं भी काफी बढ़ जाएंगी, फिलहाल ये ट्रायल अगले एक से डेढ़ महीने लगेंगे, इस दवा का मेडिकल ट्रायल एम्स दिल्ली, एम्स भोपाल और पीजीआई चंडीगढ़ में किया जाएगा,


सीएसआईआर के डीजी डॉ शेखर मांडे के मुताबिक, "ये दवा जो है वो इंसान के शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाती है. इससे अपना शरीर अपने आप में ही किसी भी इंफेक्शन से लड़ने के लिए सक्षम हो जाता है. कुछ-कुछ हमारी बॉडी में जो सेल है, पीएच सेल जिसे कहते हैं उनको यह बढ़ावा देता है और फिर th1 वायरल से फाइट करके वायरल को बॉडी से निकाल लेता है. हम इस दवा को ट्राई कर रहे हैं क्योंकि इससे शरीर की इम्युनिटी बढ़ेगी और फिर हमारी बॉडी उस वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो जाएगी."


एबीपी न्यूज ने बात करते हुए सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर मांडे ने बताया की इस दवा की खोज सेप्सिस कैसी बीमारी के लिए हुए था. इसके बाद इस बीमारी के लिए कैडिला फारामसीयूटकल्स और सीएसआईआर ने मिलकर एक दवा तैयार की. इसके बाद उनके एक ट्रायल की जिसमें पता चला की सेप्सिस की इस दवा से मोड़ालिटी रेट 50% तक घटती है. इस दवा के असर के बाद सीएसआईआर ने सोचा की इस दवा का प्रयोग कोरोना में भी किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें भी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है. इसलिए सीएसआईआर ने इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल की परमिशन मांगी थी. ड्रग कंट्रोलर से जिसकी इजाज़त मिल गई है. इसे ये पता चलेगा की कोरोना पर इफेक्टिव है या नहीं.


इस ट्रायल के बारे में सीएसआईआर के डीजी डॉ शेखर मांडे के मुताबिक, "ट्रायल हम तीन अलग-अलग जगह पर शुरू कर रहे हैं. एम्स भोपाल एम्स नई दिल्ली और पीजीआई चंडीगढ़. अब इन तीनों जगहों की एथिक्स कमेटी उस की परमिशन लेकर फिर पेशेंट रिक्रूट करेंगे और हम फिर वहां ये दवा देंगे. ट्रायल के हमारे तीन अलग-अलग पहलू है एक क्रिटिकल इल पेशेंट, एक जो अस्पताल में गए हैं लेकिन क्रिटिकली इल नहीं है और एक ऐसा पेशेंट जिसके रिस्क काफी हाय है जो के लिए उन पर ट्राई करना. इन तीनों पर हम यह ट्रायल करेंगे. अगले दो से 3 महीने में यह साफ हो जाएगा कि इसका सक्सेस रेट कितना है."


अगर क्लीनिकल ट्रायल सक्सेसफुल हो जाते हैं तो यह तुरंत बाजार में आ जाएगी क्योंकि इसकी मैन्युफैक्चरिंग तैयार है. वहीं सीएसआईआर को पूरी उम्मीद है की इम्यूनिटी बढ़ाने की दवा कोरोना संक्रमण में काफी काम आएगी. जल्द इसके ट्रायल शुरू हो जाएंगे.