नई दिल्ली: समुद्री क्षेत्र में शिपिंग मिनिस्ट्री के अंतर्गत आने वाले विवादों को न्यायालयों में जाने, धन हानि और देरी से बचाने के लिए शिपिंग मिनिस्ट्री ने आज ‘सरोद पोर्ट्स’ नाम का एक डिस्प्यूट रिड्रेसल सिस्टम लॉंच किया है. सरोद पोर्ट्स का अर्थ है- सोसाइटी फॉर अफोर्डेबल रिड्रेसल ऑफ डिस्प्यूट्स्-पोर्ट्स्.


केंद्रीय शिपिंग मिनिस्टर मनसुख लाल मंडाविया ने एबीपी न्यूज़ से एक ख़ास बातचीत में कहा कि मैरीटाईम, पोर्ट-सेक्टर में 12 सदस्यों वाली एक केंद्रीय कमेटी गठित की गई है, जो पोर्ट सेक्टर के सभी विवादों पर जल्द फैसले देगी. इससे इस सेक्टर में उम्मीद, विश्वास और न्याय बढ़ेगा. इससे लीगल एक्सपेंडिचर और समय बचेगा. सरोद पोर्ट्स में 6-6 मेम्बर इंडियन पोर्ट्स एसोशिएशन और इंडियन प्राइवेट पोर्ट्स एंड टर्मिनल एसोशिएशन से शामिल होंगे.


‘लैंड लॉर्ड मॉडल’ की ओर बढ़ रहे हैं देश के एयर पोर्ट्स्


शिपिंग मंत्रालय के सचिव डा. संजीव रंजन ने कहा कि सभी एयरपोर्ट अब आने वाले समय में ‘लैंड लॉर्ड मॉडल’ की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे में इस तरह की केंद्रीय व्यवस्था ज़रूरी थी. ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में भी ये सिस्टम अहम रोल अदा करेगा.


सरोद पोर्ट्स का गठन सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट- 1860 के अंतर्गत किया गया है. इसके दो मुख्य उद्देश्य हैं-


1. कम खर्च और कम समय में निष्पक्ष ढंग से विवादों का समाधान.
2. मध्यस्थ के रूप में तकनीकी विशेषज्ञों के माध्यम से विवादों को सुलझाने के तंत्र को मजबूत करना.


सरोद-रोड्स् के बाद अब सरोद-पोर्ट्स्


बंदरगाहों के सभी ट्रस्ट को लाभ होगा. शिपिंग सेक्टर को लाभ होगा, प्राईवेट पोर्ट, टर्मिनलों और जेटीज़ को लाभ होगा. बता दें कि ‘सरोद‘ का कॉनसेप्टे इससे पहले परिवहन मंत्रालय ने भी अपनाया है. जहां ‘सरोद-रोडस्’ नाम के डिस्प्यूट रिड्रेसल सिस्टम का गठन नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ़ इंडिया ने किया है.


जनवरी 2018 में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने मॉडल कंसेशन एग्रिमेंट (एमसीए) में सुधार को मंज़ूरी दी थी. इसी के तहत सरोद-पोर्ट्स् का गठन संभव हो सका है.


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