नई दिल्ली: देश के 30 करोड़ नागरिकों को पहले फेज में वैक्सीन पहुंचाने के लिए पहुंचाने की प्रक्रिया का आज से शुभारंभ हो गया. इसमें वैक्सीन दी तो नहीं गई लेकिन देने की कैसी व्यवस्था रहेगी इसका रिहर्सल शुरू हो गया. गुजरात के राजकोट और गांधीनगर में, पंजाब के लुधियाना और शहीद भगत सिंह नगर में, आंध्र प्रदेश के वियवाड़ा और कृष्णा में और असम के नलबाड़ी और सोनितपुर में ड्राई रन किया गया.


हर राज्य के दो जिलों और हर जिले के पांच-पांच अस्पतालों को चुना गया. ड्राई रन का मकसद टीकाकरण से पहले तैयारियों का जायजा लेना था और कोई कमी हो तो उसमें सुधार करना है. इस ड्राई रन में डमी वैक्सीन कोल्ड स्टोरेज से निकालकर वैक्सीन सेंटर तक पहुंचाई गई. वहां क्राउड मैनेजमेंट यानी भीड़ को कैसे संभालना है, इसको भी जांचा गया. वैक्सीन की रियल टाइम मॉनिटरिंग भी की गई. मतलब वैक्सीन लगाने को छोड़कर सारी प्रक्रिया हुई.


वैक्सीन आने पर उसे लोगों को कैसे लगाया जाएगा इसकी प्लानिंग को ड्राई रन में फॉलो किया गया. लोगों का डेटा लिया गया और उसे कोविन (Cowin) ऐप पर अपलोड किया गया. कोविन वो ऐप है जिसे सरकार ने तैयार करवाया है. ऐप ही उन लोगों की जानकारी देगा जिन्हें वैक्सीन लगनी है. वैक्सीन कब लगेगी इसकी तारीख भी बताएगा.


अगर टीकाकरण के बाद उसका कोई निगेटिव असर दिखता है तो उससे मुश्किल से कैसे निपटा जाए इसकी भी जांच हुई. हर अस्पताल के 25 लोगों को वैक्सीन देने का मॉक ड्रिल किया गया. ये 25 हेल्थवर्कर ही हैं. गुजरात में राजकोट और गांधीनगर में ड्राई रन शुरू हुआ. यहां सोशल डिस्टेंसिंग के लिए लाल घेरा भी बनाया गया और वैक्सीन के मॉक ड्रिल के लिए 3 कमरे तैयार किए गए हैं.

जब वैक्सीन लगाने का काम शुरू होगा तो हर सेंटर पर कुल 5 अधिकारियों की टीम तैनात होगी, जिन्हें वैक्सिनेशन ऑफिसर का पद दिया गया है. पहला वैक्सीनेशनल ऑफिसर टीका लगवाने वाले का नाम लिस्ट से मिलान करेगा. दूसरा वैक्सीनेशन अधिकारी इसे कोविन एप के जरिए वेरिफाई करेगा. तीसरा वैक्सिनेशन अधिकारी डॉक्टर है जो वैक्सीन लगाएगा. चौथा और पांचवां अधिकारी भीड़ का प्रबंधन करेगा. साथ ही टीका लगाने वाले को 30 मिनट तक मॉनीटर करेगा.


वैक्सीन का ड्राई रन सुबह 9 बजे से शाम पांच बजे तक चला और कल भी जारी रहेगा. पहले दिन 100 से 200 लोगों को डमी वैक्सीन देने का टारगेट था. डमी वैक्सीन के बाद आधे घंटे तक मॉनिटर भी किया गया. ये पूरी ड्राई रन प्रक्रिया इसलिए की जा रही है ताकि जब वैक्सीन देने की शुरूवात हो तो प्लानिंग और तैयारियों में कोई कसर ना रह जाए.


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