नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मौत नहीं हुई. सरकार के इस बयान की चौतरफा आलोचना हो रही है. ये बयान सुनकर अब सैकड़ों पीड़ित परिवारों का दर्द फिर से छलक उठा है. एबीपी न्यूज़ ने दिल्ली में रहने वाले ऐसे ही परिवारों की पड़ताल की है, जिन्होंने ऑक्सीजन की कमी के चलते अपनों को खो दिया. पढ़ें ये रिपोर्ट.


एक ही रात में सिर से उठा मां-बाप का साया


दिल्ली के जहांगीर पुरी के ए ब्लॉक में रहने वाले गौरव गेरा और उनकी बहन भारती गेरा के सर से माता पिता का साया उठ गया. एक ही रात में माता-पिता दोनों की मौत हो गई. पिता चरनजीत गेरा का इलाज जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में चल रहा था और मां सोनू रानी का अंबेडकर हॉस्पिटल में. पिता की उम्र 49 साल थी और मां की 42 साल.


गौरव का कहना है कि बड़ी मुश्किल से हॉस्पिटल का इंतज़ाम हुआ. फिर दवाइयां रेमडेसीवीर इंजेक्शन और बाकी इलाज की चीजों का भी हमने खुद से इंतज़ाम किया. अगर ऑक्सीजन की कमी नहीं थी तो मौत कैसे हुई. भाई-बहन का कहना है कि माता पिता दोनों की स्तिथि सुधर रही थी और इसी बीच मौत की खबर आई. पहले मां की मौत की सूचना मिली और चंद घन्टों बाद पिता की मौत हो गई.


सरकारों की पॉलिटिक्स में हम लोग फंसे हुए हैं- पीड़ित परिवार


गौरव की बहन भारती का कहना है कि जो लोग ये कह रहे हैं कि ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई, अगर ये उनके परिवार के साथ हुआ होता तो शायद उनका बयान ये नहीं होता. सब झूठ बोल रहे हैं. सरकारों की पॉलिटिक्स में हम लोग फंसे हुए हैं.


जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से गई मेरी मां की जान


वहीं, दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने वाले एरिक मेसी की मां डेल्फिन मेसी की मौत भी 23-24 अप्रैल की उसी मध्यरात्रि में हुई थी, जब जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में ऑक्सीजन क्राइसिस हुआ था. एरिक का कहना है कि शुरू में हमें बताया कि respiratory failure हुआ है. हम सुबह अस्पताल पहुंचे तो वहां काफी हंगामा हो रहा था. तब समझ आया कि हुआ क्या है. इसके बाद खुद अस्पताल के एमएस ने बयान दिया कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से ही ऐसा हुआ है. उस रात जिन लोगों की मौत हुई, मेरी मां भी उनमें से ही थीं.


एरिक मेसी ने कहा कि सरकार जो कह रही है उसे सुनकर हम शॉक में हैं. सब कुछ सामने था, ऑक्सीजन के लिए लोग भाग रहे थे, हॉस्पिटल SOS कॉल दे रहे थे. फिर भी ये कह रहे हैं कि कोई मौत नहीं हुई. ये हमारे ज़ख्मों पर नमक लगाने जैसा ही है. हॉस्पिटल से लेकर दवाई, इंजेक्शन हर चीज़ का इंतज़ाम हमने खुद किया, पैसा हमने लगाया. मौत और ट्रामा हम झेल रहे हैं. तब कोई सरकार नहीं आई मदद के लिए. हमने कोर्ट में पेटिशन लगाई है और अब न्यायालय से ही उम्मीद है.


दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री का क्या कहना है?


मोदी सरकार के इस दावे पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली में और देश में कई अन्य स्थानों पर ऑक्सीजन की कमी के कारण कई लोगों की जान गई और यह कहना ‘‘सरासर झूठ’’ है कि जीवनरक्षक गैस की कमी से किसी की मौत नहीं हुई. अगर ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी तो आए दिन अस्पताल अदालत क्यों गए? अस्पताल कह रहे थे कि ऑक्सीजन के कमी से लोगों की मौत हुई. मीडिया ने भी यह मामला रोजाना उठाया.’’


बता दें कि दिल्ली में अप्रैल और मई में करीब दो सप्ताह तक ऑक्सीजन की कमी का गंभीर संकट रहा था. दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में 23 अप्रैल को करीब 20 कोविड-19 मरीजों की कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से मौत हो गई थी. तुगलकाबाद औद्योगिक क्षेत्र के बत्रा अस्पताल में भी एक मई को कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से आठ लोगों की जान चली गई थी.


सरकार ने संसद में क्या कहा था?


स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार से पूछा गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से सड़कों और अस्पतालों में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है? इसपर पवार ने कहा था कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कोरोना के मामलों और मौत की संख्या के बारे में केंद्र को नियमित सूचना देते हैं. बहरहाल, किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने ऑक्सीजन के अभाव में किसी की भी जान जाने की खबर नहीं दी है.’’


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