Rafale Deal: राफेल डील को लेकर एक बार फिर 'रिश्वत का राग' शुरू हो गया है. ऐसे में एक बार फिर सभी के मन में सवाल उठने लगा है कि क्या राफेल जेट की डील के लिए कमीशन दिया गया? फ्रेंच न्यूज पोर्टल के खुलासे के कांग्रेस इस मामले में घिरती हुई दिखाई दे रही है. लोगों के मन में यह भी सवाल उठने लगा है कि क्या 65 करोड़ की रिश्वत में राफेल जेट की डील हुई थी? मामला सामने आने के बाद डील में शामिल सुशेन गुप्ता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं.


गोरतलब है कि फ्रांस के न्यूज पोर्टल मीडियापार्ट की ओर से एक दावा किया गया है. इस दावे में कहा गया है कि राफेल की डील करवाने के लिए घूस दी गई थी. पोर्टन ने यह भी कहा है कि साल 2007 से 2012 के बीच इस डील को लेकर रिश्वत दी गई थी.


कांग्रेस पर हमलावर हुई बीजेपी


मामला प्रकाश में आने के बाद बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर हो गई है. न्यूज रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत सरकार राफेल को ही चुने ये तय करने के लिए राफेल बनाने वाली कंपनी ने किकबैग्स यानी रिश्वत दी थी. पोर्टल ने बताया है कि ये तब दी गई थी जब देश में कांग्रेस की सरकार थी.


जैसे ही फ्रांस के पोर्टल ने इस बात का खुलासा किया उसके बाद भारती जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि INC का अर्थ इंडियन नेशनल कांग्रेस नहीं होगा, बल्कि 'आई नीड कमीशन' है.


संबित पात्रा यहीं नहीं रुके. उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि कौन कहता है कि भ्रष्टाचार का ठिकाना नहीं होता है. भ्रष्टाचार का पता है 10 जनपथ. शायरी के तर्ज पर उन्होंने कहा, ''घोटाले एक नहीं कई हजार हो गए, रिश्वत के आंकड़े भी करोड़ों पार हो गए. जनता को लूटा कांग्रेस ने इस तरह, कि उनके शर्म भी शर्मसार हो गए.''


कांग्रेस का पलटवार


संबित पात्रा के बयान के बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से पवन खेड़ा ने मोर्चा संभाला और बीजेपी पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि आप बिना निविदा के जाकर विमान खरीद लेते हैं, 526 करोड़ का विमान 1670 करोड़ में खरीदते हैं और आरोप हम पर लगाते हैं. उन्होंने कहा कि आप नो करप्शन क्लॉज हटा देते हो और आरोप हम पर लगाते हैं. किस मुंह से ऐसा करते हैं.


पोर्टल मीडियापार्ट का दावा है कि उनके पास दसॉ एविएशन की तरफ से राफेल फाइटर जेट की डील के लिए रिश्वत देने के सबूत हैं. पोर्टल की ओर से यह भी दावा किया गया है कि 7.5 मिलियन यूरो यानी 65 करोड़ रुपये की रिश्वत बिचौलिये सुशेन गुप्ता को दी गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक ये भुगतान 2007 से 2012 के बीच हुए थे, जब देश में UPA की सरकार थी. 


बता दें कि भारत ने फ्रांस की दसॉ एविएशन कंपनी को 2012 में 126 रफाल लड़ाकू जेट खरीदने के लिए चुना था. इसमें से 18 विमान सीधे फ्रांस से खरीदने जाने थे और बाकी 108 भारत में बनने थे. लेकिन 2014 में बीजेपी की सरकार बनी तो ये डील कैंसिल कर दी गई और फिर सितंबर 2016 में दसॉ से ही 36 राफेल फाइटर जेट खरीदे जाने की डील हुई. 


फ्रेंच मीडिया पोर्टल मीडिया पार्ट की रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि CBI और ED के पास अक्टूबर 2018 से ही डील में रिश्वत के सबूत हैं, लेकिन उन्होंने केस आगे नहीं बढ़ाया. अब ये बात कांग्रेस ने पकड़ ली है और कांग्रेस इसे लेकर बीजेपी पर आरोप लगा रही है. 


कौन है सुशेन गुप्ता?


इस पूरी डील में सुशेन गुप्ता नाम के एक दलाल का नाम आ रहा है. इस व्यक्ति का पूरा नाम सुशेन मोहन गुप्ता है. सुशेन अगूस्ता वेस्टलैंड डील में भी गिरफ्तार हो चुका है. बता दें कि सुशेन के खिलाफ ईडी की जांच आज भी जारी है. वहीं सुशेन पर यह भी आरोप लगते रहे हैं कि दलाली की रकम से कई संपत्तियां बनाईं हैं.


जांच एजेंसी के एक आला अधिकारी के मुताबिक अपनी दलाली के राज छुपाने और भारतीय एजेंसियो की निगाहों में धूल झोकने के लिए सुशेन ने दुबई मे एक शख्स के घर वाल्ट सिस्टम खोला हुआ था यानि उसके जो भी विदेशी पत्राचार होते थे वो उस डिब्बे के पते पर दुबई में आते थे. सुशेन महीने मे एक बार दुबई जाता था और अपने उस डिब्बे को खोल कर विदेशों से आई सारी जानकारियां हासिल करता था लेकिन एक दिन उस डिब्बे पर जांच एजेंसियो का छापा पड़ गया और खुल गया डिफेंस डील्स का राज.


सुशेन गुप्ता के नाम पर हंगामा मचा हुआ है. बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस के राज में डिफेंस डील में सिर्फ कमीशन का खेल था तो कांग्रेस कह रही है कि इसकी शुरुआत वाजपेयी सरकार से हुई थी.


बता दें कि भारत को अब तक 26 राफेल फाइटर जेट मिल चुके हैं और अगले साल यानी मार्च 2022 तक बाकी के 10 विमान भी भारत पहुंच जाएंगे. जिनसे भारतीय वायुसेना बहुत मजबूत भी हुई है.


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