नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि से जुड़े बिलों के मुद्दे पर संसद में सरकार को घेरने के बाद कांग्रेस अब देशव्यापी आंदोलन की रणनीति बना रही है. इसको लेकर सोमवार को पार्टी की बड़ी बैठक बुलाई गई है. सोमवार शाम 4 बजे कांग्रेस मुख्यालय में होने वाली बैठक में सोनिया गांधी की सहायक समिति के सदस्य, सभी महासचिव और प्रदेश प्रभारी मौजूद रहेंगे. शीर्ष स्तर पर फेरबदल के बाद कांग्रेस के केन्द्रीय पदाधिकारियों की यह पहली बैठक है.


सूत्रों के मुताबिक इलाज के लिए विदेश में मौजूद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसको लेकर निर्देश दिए हैं. राहुल गांधी भी अपनी मां सोनिया गांधी का ख्याल रखने के लिए उनके साथ हैं.


कांग्रेस ने संसद में इन बिलों का जमकर विरोध करने की रणनीति तो बनाई थी लेकिन जिस तरह से सरकार इन बिलों को लेकर चौतरफा घिर गई है, इसके बाद कांग्रेस ने देश भर में प्रदर्शन करने का फैसला किया है. कांग्रेस को ये मुद्दा दोनों की तरह से मुफ़ीद लगता है क्योंकि तमाम किसान संगठन तो इसका विरोध कर ही रहे हैं, वहीं मोदी सरकार के कुनबे के सदस्य जैसे अकाली दल भी विरोध कर रहे हैं. यही नहीं आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने भी इसको किसानों के खिलाफ बताया है.


राहुल गांधी और प्रियंका गांधी आरोप लगा चुके हैं कि इन बिलों के जरिए मोदी सरकार उद्योगपतियों की मदद कर रही है. कृषि बिलों पर गर्म इसी राजनीति के बीच मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस सोमवार को मंथन करेगी जहां बतौर महासचिव प्रियंका गांधी भी मौजूद रहेंगी. देखना होगा कि कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच कांग्रेस कैसे सड़क पर उतरेगी और बड़ा सवाल यह कि इस अभियान की जिम्मेदारी कौन संभालेगा?


इससे पहले मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की कोशिश के समय जम कर विरोध किया था और सरकार को बैकफुट पर धकेलने में कामयाब रही थी. कुछ वैसी ही कोशिश कांग्रेस एक बार फिर करती नजर आ रही है.


जैसा कि आप जानते हैं मोदी सरकार द्वारा कृषि में सुधार के नाम पर लाए गए तीन बिलों को लोकसभा से पारित किया जा चुका है. लेकिन इसके विरोध में पंजाब और हरियाणा के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की नाराजगी के मद्देनजर अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. हालांकि सरकार कह रही है कि ये बिल किसान को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं. जबकि कांग्रेस समेत विपक्षी दल इसे किसान विरोधी ठहरा रहे हैं.


वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि मंत्री दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में उन्हीं कृषि सुधारों की बात की थी जिन्हें केंद्र सरकार ले कर आई है. हालांकि कांग्रेस ने इसे गुमराह करने की कोशिश करार दिया है.


लोकसभा के बाद कृषि बिलों को राज्यसभा में पेश किया जाना है. दूसरी तरफ आने रविवार से ही आने वाले हफ्ते में किसानों का विरोध तेज हो सकता है.


ये भी पढ़ें:
आई विटनेस का दावा- दिशा सालियान के साथ हुआ था बलात्कार, पता लगाना चाहते थे सुशांत सिंह राजपूत 

Exclusive: कृषि बिलों से MSP और मंडी खत्म नहीं होंगी, फैलाया जा रहा है भ्रम-कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर