महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदलने पर तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर का पहला रिएक्शन सामने आया है. उन्होंने इश विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. थरूर ने कहा कि सरकार के प्रस्तावित नए G-RAM-G बिल में MNREGA का नाम बदलने पर विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार के प्रस्तावित नए ग्राम स्वराज की अवधारणा और राम राज्य का आदर्श कभी भी एक-दूसरे के विरोधी नहीं थे. 

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उन्होंने कहा कि वे गांधीजी की सोच के दो स्तंभ थे. ग्रामीण गरीबों के लिए एक योजना में महात्मा का नाम हटाना इस गहरे जुड़ाव को नजरअंदाज करता है. उनकी आखिरी सांस 'राम' के प्रति उनकी आस्था का प्रमाण थी. 

शशि थरूर ने आगे कहा कि हम ऐसी जगह बंटवारा करके गांधीजी की विरासत का अपमान न करें, जहां कोई बंटवारा था ही नहीं.

मनरेगा खत्म कर नया कानून लाएगी सरकार

केंद्र सरकार ने मनरेगा को खत्म करने का फैसला किया है. अब नया कानून लाने की तैयारी है. इसे शीतकालीन सत्र में चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया है. इसका नाम विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल 2025 रखा गया है. 

सरकार की तरफ से इस नए बिल में कहा गया है कि इसका उद्देश विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय विजन के तहत ग्रामीण विकास का ढांचा तैयार करना है. काम के दिनों की संख्या 100 दिन से बढ़ाकर 125 कर दी जाएगी. 

इससे पहले शुक्रवार यानी 12 दिसंबर को खबर थी कि सरकार मनरेगा का नाम बदलकर पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना रखा है. लेकिन तब सरकार का नोटिफिकेशन नहीं आया था. 

प्रियंका गांधी ने भी नाम बदलने पर जताई हैरानी 

प्रियंका गांधी ने मनरेगा के स्थान पर नया कानून बनाने की तैयारी के बीच सोमवार को कहा कि आखिर इस योजना से महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है. उन्होंने संसद में गतिरोध को लेकर यह दावा भी किया कि ऐसा लगता है कि सरकार ही सदन नहीं चलाना चाहती.