PAC Chairman: संसद की सबसे प्रमुख और ताक़तवर समितियों में शामिल लोक लेखा समिति (PAC) का पुनर्गठन किया गया है. इसके अलावा सार्वजनिक उपक्रम समिति (CoPU) और प्राक्कलन समिति (Estimates) का भी पुनर्गठन किया गया है. तीनों समितियां वित्तीय समितियां कही जाती हैं और बेहद अहम होती हैं. इन समितियों का कार्यकाल एक साल का होता है जिसके बाद इनका पुनर्गठन होता है.


विपक्ष का कोई सांसद ही बनता है अध्यक्ष


लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी एक बार फिर लोक लेखा समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं. परंपरागत तौर पर इस समिति का अध्यक्ष विपक्ष के ही किसी सांसद को बनाया जाता रहा है. समिति का कार्यकाल एक मई से शुरू होकर अगले साल 30 अप्रैल तक होगा. नई समिति में पुरानी समिति के तक़रीबन सभी सदस्यों को ही शामिल किया गया है. बीजेपी की ओर से समिति में रामकृपाल यादव , राजीव प्रताप रूडी , सत्यपाल सिंह और जगदम्बिका पॉल जैसे नेताओं को स्थान दिया गया है.


सरकार के खर्चे की करती है पड़ताल


लोक लेखा समिति संसद की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित समिति मानी जाती है जो सरकार के ख़र्चे की पड़ताल करती है. अबतक अटल बिहारी वाजपेयी, ज्योति बसु, एन जी रंगा, पी वी नरसिम्हा राव और मुरली मनोहर जोशी सरीखे नेता लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं. समिति में 22 सदस्य होते हैं जिनमें 15 लोकसभा के और 7 राज्यसभा के सदस्य होते हैं.


बीजेपी सांसद गिरीश चन्द्र बापट बने प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष


वहीं बीजेपी सांसद गिरीश चन्द्र बापट को एक बार फिर प्राक्कलन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. इस समिति में 30 सदस्य होते हैं और इसमें राज्यसभा के सदस्य शामिल नहीं किए जाते हैं. बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार को भी सार्वजनिक उपक्रम समिति के अध्यक्ष पद का दोबारा अध्यक्ष बनाया गया है. इस समिति में लोकसभा के 15 और राज्यसभा के 7 सांसद सदस्य के तौर पर शामिल किए जाते हैं.


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