Congress On White Paper: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले संसद के आखिरी सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने गुरुवार (8 फरवरी) को पूर्ववर्ती संप्रग (UPA) सरकार के आर्थिक क्रियाकलापों की आलोचना करते हुए एक श्वेत पत्र पेश किया.


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक ‘श्वेत पत्र’ संसद में पेश किया. इसमें कहा गया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने अंधाधुंध राजस्व व्यय, बजट के अतिरिक्त उधारी और बैंकों के एनपीए के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया था. केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए श्वेत पत्र को लेकर कांग्रेस नेताओं ने पलटवार किया है.


मैदान-ए-जंग में सारे कुछ फैसले होंगे- अधीर रंजन चौधरी


लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, ''कल जब चर्चा शुरू होगी, मैदान-ए-जंग में सारे कुछ फैसले होंगे. चिंता की क्या जरूरत है?'' उन्होंने कहा, ''कहां मेहुल चौकसी घूम रहे हैं, कहां नीरव मोदी बैठे हुए हैं, ये भी तो पूछा जाएगा. विजय माल्या कहां मस्ती कर रहे हैं और किसके साथ मस्ती कर रहे हैं, ये भी तो पूछा जाएगा. सारे जवाब उनके पास अगर रहे तो दे देंगे.'' 


अधीर रंजन ने आगे कहा, ''हमें कितने बार तुम (बीजेपी) बोलते रहोगे, 2जी कहो, कोल (स्कैम) कहो, सारे जेपीसी हो चुके हैं. तुम्हारी सरकार 10 साल गुजार चुकी है. सारे तफ्तीश करने के सारे हथियार तुम्हारे पास ही थे. अब तक तुम्हें रोकने वाला कोई है ही नहीं तो फिर भी कुछ क्यों नहीं निकला? फिर तुम्हें व्हाइट पेपर क्यों लाना पड़ा?''


उन्होंने कहा, ''इतने ईडी-सीबीआई रहते हुए क्यों व्हाइट पेपर लाना पड़ा और वो भी चुनाव के पहले कि लोगों को दोबारा गुमराह किया जाए. यही है न बात? लोग समझते हैं.''






क्या कुछ कहा गया है श्वेत पत्र में?


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, श्वेत पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से विरासत में मिली चुनौतियों पर पिछले 10 वर्षों में सफलतापूर्वक काबू पाया है. इसके साथ ही भारत को उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए ‘कड़े फैसले’ भी किए हैं.


'2014 में मोदी सरकार ने सत्ता संभाली तो अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी'


कुल 59 पृष्ठों वाले ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र’ के मुताबिक, जब 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार ने सत्ता संभाली तो अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी और सार्वजनिक वित्त खराब स्थिति में था. इसके साथ ही आर्थिक कुप्रबंधन, वित्तीय अनुशासनहीनता और व्यापक भ्रष्टाचार का भी बोलबाला था.


श्वेत पत्र में कहा गया है कि संप्रग शासन के 10 वर्षों में किए गए कई गलत फैसलों के कारण 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दिशाहीन स्थिति में थी. ऐसे में मोदी सरकार पर चुनौतियों से निपटने और अर्थव्यवस्था में गति और आशावाद को बहाल करने की जिम्मेदारी आ गई.


लोकसभा में पेश दस्तावेज के मुताबिक, ‘‘यह एक संकटपूर्ण स्थिति थी. अर्थव्यवस्था को चरण-दर-चरण सुधारने और शासन प्रणालियों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी.’’


मौजूदा दौर को बताया गया है 'कर्तव्य काल'


श्वेत पत्र में कहा गया, ‘‘पिछले दस वर्षों के कामकाज को देखते हुए हम विनम्रता और संतुष्टि से यह कह सकते हैं कि हमने पिछली सरकार द्वारा छोड़ी गईं चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया है.’’ श्वेत पत्र में मौजूदा दौर को 'कर्तव्य काल' बताते हुए कहा गया कि अभी मीलों चलना है और वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है.


श्वेत पत्र एक प्रकार का दस्तावेज होता है जो सत्तारूढ़ दल लिए राजनीतिक हथियार का काम करता है. इसके जरिए सरकार की उपलब्धियों और नीतियों पर प्रकाश डाला जाता है. कई बार पिछली सरकार के कार्यों और नीतियों की ओर ध्यान खींचने के लिए भी सरकारें श्वेत पत्र का इस्तेमाल करती हैं.


(भाषा इनपुट के साथ)


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