नई दिल्ली: देश में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच पीएम केयर्स फंड की अपारदर्शिता को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने ट्विटर पर कहा है कि पीएम केयर्स को लेकर अस्पष्टता से भारतीयों की जान खतरे में डाली जा रही है और जनता के पैसे से दोयम दर्जे के सामान खरीदे जा रहे हैं. इससे पहले कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पीएम केयर्स फंड से वेंटिलेटर की खरीद में धांधली का आरोप लगा कर प्रधानमंत्री से सफाई मांगी.


कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने वेंटिलेटर की खरीद में अनियमितता का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि 2 हजार करोड़ रुपए से 50 हजार वेंटिलेटर खरीदे जाएंगे. यानी एक वेंटिलेटर की कीमत 4 लाख रुपए आएगी. कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया कि जिन दो कंपनियों को ठेका मिला है, उनमें से एक अग्वा हैल्थ केयर कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक एक वेंटिलेटर की कीमत डेढ़ लाख रुपए है. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से सवाल पूछा है कि एक वेंटिलेटर खरीदने के लिए 4 लाख रुपये क्यों आवंटित किए गए हैं, जबकि प्रति वेंटिलेटर की कीमत डेढ़ लाख रुपये है. कांग्रेस ने पारदर्शिता को लेकर यह सवाल भी उठाया है कि क्या वेंटिलेटर खरीद को लेकर ओपन टेंडरिंग की गई थी?


इन वेन्टिलेटरों की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगते हुए कांग्रेस ने कहा है कि देश के कई प्रतिष्ठित अस्पताल, डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि अग्वा कंपनी ने बेकार और दोयम दर्जे के वेंटिलेटर सप्लाई किए हैं, जिसमें गड़बड़ी करके यह दिखाया जाता है कि ऑक्सीजन सप्लाई इतनी हो रही है और जबकि होती नहीं है.


इसके साथ ही कांग्रेस ने कहा कि 31 मार्च, 2020 को भारत सरकार ने 40 हजार वेंटिलेटर खरीदने का ऑर्डर 2 कंपनियों को दिया था. इनमें से 30 हजार वेंटिलेटर ‘स्केन रे टेक्नॉलोजी' नाम की कंपनी को और 10 हजार वैंटिलेटर 'एग्वा हैल्थ केयर’ कंपनी को. उसके बाद 23 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि पीएम केयर्स फंड के 2 हजार करोड़ से 50 हजार वेंटिलेटर खरीदे जाएंगे. कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल पूछा है कि 23 जून को जिन 40 हजार वेंटिलेटर को खरीदने की बात कही गई, क्या वह उन 50 हजार वेंटिलेटर का हिस्सा थे, जिसके बारे में 31 मार्च को एलान किया गया था या सरकार ने पीएम केयर्स के तहत 40 हजार अतिरिक्त वेंटिलेटर खरीदे जाने की घोषणा की? यहां महत्वपूर्ण यह है कि 31 मार्च तक पीएम केयर्स फंड की स्थापना का नोटिफिकेशन नहीं आया था.


गौरव वल्लभ ने 23 जून की प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा कि 23 जून तक महज 1,340 वेंटिलेटर सप्लाई किए गए. वल्लभ ने सवाल खड़ा किया कि लॉकडाउन के ढाई महीने के बावजूद इतनी कम संख्या में वेंटिलेटर की सप्लाई क्यों की गई?


कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जब देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या रोजाना 24 हजार से ऊपर जा रही है और सबको पता है कि कोविड के गंभीर मामलों को सिर्फ और सिर्फ वेंटिलेटर की सहायता से बचाया जा सकता है, तब दूसरी तरफ वेंटिलेटर खरीद में व्यापक धांधली हो रही है. कांग्रेस ने इस मामले पर प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री से सफाई मांगी है. कांग्रेस इससे पहले भी पीएम केयर्स फंड की पारदर्शिता पर यह कहते हुए सवाल खड़ा कर चुकी है कि इस फंड में सरकारी या आम लोगों का पैसा जमा किया गया है.


आपको बता दें कि रविवार को भारत में कोरोना पॉजिटिव की संख्या 6 लाख 74 हजार को पार कर गई और बीते 24 घंटे में अब तक अधिकतम 24 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं.


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