नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कम्बाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए देश के टॉप कमांडर्स‌ और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को सिविल-मिलिट्री 'साइलो' को तोड़कर एक साथ मिलकर काम करने की सलाह दी, जिससे रक्षा-क्षेत्र से जुड़े अहम मुद्दों में जल्द फैसले लिए जा सके.


शनिवार को गुजरात के केवड़िया में टॉप मिलिट्री कमांडरों के संयुक्त सम्मेलन (4-6 मार्च) को आखिरी दिन संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने सेनाओं को अपनी उन विरासत और प्रथाओं को खत्म करने की सलाह दी जिनकी‌ उपयोगिता समय‌ के साथ खत्म हो गई है.


प्रधानमंत्री ने तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य पर ध्यान देते हुए देश की सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) को एक 'फ्यूचर-फोर्स' यानी 'भविष्य की ताकत' के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया.


पीएम ने राष्ट्रीय सुरक्षा में सिविल और मिलिट्री दोनों ही स्ट्रक्चर में मैनपावर के बेहतर उपयोग पर भी जोर दिया. इसी दौरान पीएम मोदी ने कहा कि देश के रक्षा-तंत्र में सिविल और मिलिट्री लीडरशिप दोनों को ही अपने अपने 'साइलो' यानि कोठरी से बाहर निकलकर देश की सेवा और सुरक्षा में मिलकर जुटना होगा.


आपको बता दें कि सालाना कम्बाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस रक्षा मंत्रालय (डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स) द्वारा आयोजित किया जाता है, जिसमें देश की टॉप सिविल और मिलिट्री लीडरशिप हिस्सा लेती है. शनिवार को जब प्रधानमंत्री ने संयुक्त कमांडरों के सम्मलेन को संबोधित किया तो उस वक्त रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोवाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत, सेना के तीनों अंगो के प्रमुख और थलसेना, वायुसेना और नौसेनै की सभी 17 कमान के कमांडरों सहित रक्षा मंत्रालय के सभी चारों सचिव मौजूद थे.


पहली बार संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन में तीनों सेनाओं के 30 मध्य-स्तर के अधिकारियों सहित जेसीओ और एनसीओ (जवानों) ने भी हिस्सा लिया. खुद प्रधानमंत्री ने इस वर्ष के सम्मेलन में जूनियर कमीशन अधिकारियों और गैर-कमीशन अधिकारियों को शामिल करने की विशेष रूप से सराहना की. पीएम ने पिछले साल पहले कोविड और फिर चीन से पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर हुए विवाद के दौरान देश के सशस्त्र बलों द्वारा दिखाए गए दृढ़ संकल्प के लिए जमकर प्रशंसा की.


प्रधान मंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में स्वदेशीकरण को बढ़ाने के महत्व पर बल दिया. पीएम ने कहा कि ना केवल हथियारों के लिए बल्कि सशस्त्र बलों में प्रचलित सिद्धांतों, प्रक्रियाओं और रीति-रिवाजों में भी स्वदेशीकरण पर बल दिया. प्रधान मंत्री ने कहा कि देश अगले साल अपनी आजादी के 75 साल मनाएगा. ऐसे समय में सशस्त्र बलों को इस अवसर का उपयोग करना चाहि ताकि ताकि देश के युवाओं को राष्ट्र-शक्ति में शामिल होने के लिए प्रेरणा मिले.


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