देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर सोशल मीडिया पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक दर्शन सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री पर झूठे आरोप लगाने वाले पत्रकार के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने तथा पूरे मामले की सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है.


क्या बोले मुख्यमंत्री रावत?


इस बीच मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानूनी मामला है जिसे केवल कानूनी प्रक्रिया से ही सुलझाया जा सकता है. उन्होंने मीडिया के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यह एक कानूनी मामला है. इसे केवल कानूनी प्रक्रिया से ही सुलझाया जा सकता है जो सबकुछ स्पष्ट कर देगा.’’


कांग्रेस ने मुख्यमंत्री रावत का इस्तीफा मांगा


मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने बुधवार को नैतिक आधार पर सीएम का इस्तीफा मांगा. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा, ‘‘एक ऐसा मुख्यमंत्री, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति का बखान करने से नहीं थकता, उसे (अदालत का) ऐसा (सीबीआई जांच का) आदेश आने के बाद अब एक मिनट भी पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.'’ सिंह ने कहा कि पार्टी ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलने का समय मांगा है जिससे वह उनके सामने इस मुददे को रख सकें और इस मामले में उनसे दखल देने का अनुरोध कर सकें.


पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उच्च न्यायालय के आदेश को 'गंभीर' बताया और मुख्यमंत्री से मामले की निष्पक्ष जांच के लिए पद छोडने को कहा. उन्होंने कहा, ‘'उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मुख्यमंत्री को तत्काल पद छोड देना चाहिए, ताकि उनके खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच का रास्ता साफ हो सके.'’ रावत ने कहा कि मामले को राज्यपाल के सामने उठाने के अलावा पार्टी अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ‘‘न्याय के लिए संघर्ष’’ जारी रखेगी.