Mizoram: मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा है कि उनकी सरकार केंद्र की मदद के जरिए म्यांमार के शरणार्थियों और मणिपुर में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को मदद करना जारी रखेगी. सीएम लालदुहोमा की तरफ से ये बयान ऐसे समय पर दिया गया, जब वह दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात कर मिजोरम लौटे हैं. म्यांमार के शरणार्थियों का मुद्दा काफी वक्त से गरमाया भी हुआ है. 


शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मिजोरम सीएम ने कहा, 'भले ही केंद्र म्यांमार के नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा नहीं दे सकता है, लेकिन वह उन्हें राहत प्रदान करने में हमारे साथ मदद करने के लिए तैयार है. हिंसा का शिकार होकर घर छोड़ने वाले मणिपुर के लोगों की भी केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाली मदद से देखभाल की जाएगी.' मणिपुर में मई के महीने में हिंसा की शुरुआत हुई थी. रुक-रुककर हिंसा की जानकारी सामने भी आ रही है.


मिजोरम में कितने लोगों ने शरण ली है? 


अधिकारियों के मुताबिक, म्यांमार में तख्तापलट के बाद से ही उथल-पुथल मची हुई है. म्यांमार के चिन समुदाय के 31000 से ज्यादा लोगों ने फरवरी 2021 से मिजोरम में शरण ली हुई है. मणिपुर में हिंसा के बाद से ही 9000 के करीब लोगों ने भी म्यांमार में शरण ली है. म्यांमार के चिन समुदाय और मणिपुर के कुकी-जो समुदाय मिजो लोगों के साथ जातीय संबंध रखते हैं. 


सरकार की तरफ से मिला आश्वासन


एक आधिकारिक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लालदुहोमा को सूचित किया कि केंद्र फरवरी 2021 से राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिकों को तब तक निर्वासित नहीं करेगा, जब तक कि पड़ोसी देश में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो जाती. मुख्यमंत्री ने यह भी उम्मीद जताई कि केंद्र भारत-म्यांमार सीमा के एक हिस्से पर बाड़ लगाने के कदम को रद्द भी करने वाला है. 


केंद्र सरकार ने हाल ही में कहा था कि वह म्यांमार के साथ 300 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था को समाप्त करने की योजना बना रही है. नियमों के तहत अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर के भीतर यात्रा करने की इजाजत है. बाड़ लगने के बाद ऐसा करना मुश्किल हो जाता.


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