नई दिल्लीः देश में पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 मामलों में लगातार गिरावट आ रही है. इस बीच, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्टडी में डेल्टा वेरिएंट पर नई जानकारी सामने आई है. इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के सहयोग से एम्स की की गई दो अलग-अलग स्टडी से पता चला है कि कोविड-19 का डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) कोविशील्ड या कोवैक्सीन टीकों की एक या दोनों डोज लेने के बाद भी लोगों को संक्रमित कर सकता है.
 
एम्स की स्टडी में 63 लोगों शामिल किया गया था, जिन्हें ब्रेकथ्रू इंफेक्शन था. इनमें से 36 ने दो डोज और 27 ने एक डोज दी गई थी. एम्स-आईजीआईबी के अध्ययन में पाया गया दो डोज लेने वाले ग्रुप और एक डोज लेने वाले ग्रुप में कोई अंतर नहीं पाया गया. 63 लोगों में से किसी की मौत नहीं हुई लेकिन लगभग सभी मामलों में 5-7 दिनों तक तेज बुखार हुई थी.


 स्टडी में 51 पुरुष और  22 महिलाएं थी शामिल
कोविशील्ड या कोवैक्सीन के दोनों डोज लेने वाले लगभग 60 प्रतिशत और एक डोज लेने वाले में से 77 प्रतिशत लोगों में डेल्टा वेरिएंट के लक्षण थे. 63 में में से 10 को कोवैक्सीन और 53 को कोविशील्ड डोज दी गई गई थी. इनमें 51 पुरुष और  22 महिलाएं थीं. एनसीडीसी की स्टडी में 27 मरीजों में डेल्टा वेरिएंट था जिनको कोविशील्ड वैक्सीन दी गई थी और इनका इंफेक्शन रेट 70.3 प्रतिशत था.
 


डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ दोनो वैक्सीन प्रभावी
दोनों स्टडी में कहा गया है कि कोविशील्ड या कोवैक्सीन दोनों टीके डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं लेकिन कम प्रभावशीलता के साथ. इसमें यह भी कहा गया कि हर मामले में संक्रमण की गंभीरता के परिणाम पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है. गौरतलब है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए डेल्टा वेरिएंट को ही जिम्मेदार माना जा रहा है. 


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