चीफ जस्टिस ने बड़े मुकदमों की लंबी चलने वाली सुनवाई पर नियंत्रण की बात कही है. उन्होंने कहा है कि मुकदमे की शुरुआत में वकीलों को अपनी जिरह की समय सीमा बतानी होगी. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि वह मतदाता सूची में सुधार को लेकर चल रहे विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) पर नई याचिकाओं को स्वीकार करना बंद कर देगा.
'रजिस्ट्री को देंगे निर्देश'गुरुवार, 11 दिसंबर को चीफ जस्टिस ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को SIR को लेकर कोई नई याचिका स्वीकार न करने का निर्देश देंगे. उन्होंने कहा, 'SIR की वैधानिकता पर सुनवाई चल रही है. इस बीच लगातार नई याचिकाएं दाखिल हो रही हैं. इनमें से कई लोग सिर्फ अपने प्रचार के लिए याचिका दाखिल कर रहे हैं.'
'बड़े मुकदमे लेते हैं पूरा दिन'चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि SIR जैसे बड़े मामले पूरा दिन ले लेते हैं. इसके चलते न्याय की उम्मीद में कोर्ट पहुंचे आम याचिकाकर्ता इंतजार ही करते रह जाते हैं इसलिए, आज वह पहले उन याचिकाओं को सुनेंगे जिनमें थोड़ी देर ही बहस होनी है. इसके बाद SIR केस को सुना जाएगा.
अब नहीं चलेगी अंतहीन सुनवाईजस्टिस जोयमाल्या बागची के साथ बैठे चीफ जस्टिस ने कहा, 'जनवरी 2026 से मैं अंतहीन सुनवाई की अनुमति नहीं दूंगा. वकीलों को सुनवाई से पहले अपनी जिरह की समय सीमा बतानी होगी और उसका पालन करना होगा. कोर्ट के समय का समान और न्यायपूर्ण बंटवारा होना चाहिए. कई लोग हैं जो जमानत के लिए लड़ रहे हैं या उन्हें अपने खिलाफ चल रही किसी कार्यवाही पर रोक चाहिए होती है. वह पिछली सीट पर बैठे इंतजार ही करते रह जाते हैं.'
विधवा को मिले मुआवजे को किया यादचीफ जस्टिस ने आम लोगों से जुड़े एक मामले का जिक्र करते हुए कहा कि एक व्यक्ति की ट्रेन से कट कर मृत्यु हो गई थी. कोर्ट ने रेलवे से उसके परिवार को मुआवजा देने को कहा, लेकिन वह गरीब परिवार मुआवजा नहीं ले पाया और कहीं चला गया. आखिर हम लोगों ने उनकी तलाश करवाई और मुआवजा दिलवाया. उस दिन आप लोगों को उस विधवा औरत की मुस्कुराहट देखनी चाहिए थी. हम सिर्फ बड़े-बड़े मुकदमों को समय नहीं दे सकते.